ट्रंप के टैरिफ का भारतीय नौकरियों पर असर सीमित, सरकार बना रही रणनीति : मुख्य आर्थिक सलाहकार
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने अमेरिका द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर लगाए गए भारी टैरिफ को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन की इस कार्रवाई से नौकरियों पर बड़े पैमाने पर खतरा नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि इसका असर खासतौर पर उन यूनिट्स पर हो सकता है, जो अपने निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर ज्यादा निर्भर हैं।

अमेरिकी टैरिफ और भारत पर असर
अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगा दिया है। इस फैसले के बाद से भारतीय निर्यातकों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। नागेश्वरन ने बताया कि अमेरिकी टैरिफ से नौकरियों का खतरा सीमित दायरे में है और यह मुख्य रूप से एक्सपोर्ट-आधारित सेक्टर्स तक ही सीमित रहेगा।
घरेलू मांग से मिलेगा सहारा
सीईए ने कहा कि इस संकट की भरपाई मजबूत घरेलू मांग से संभव है। उन्होंने बताया कि अच्छे मॉनसून और ग्रामीण इलाकों में बढ़ती खपत से घरेलू बाजार मजबूत हुआ है। ऐसे में निर्यात प्रभावित होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा झटका लगने की संभावना कम है।

सरकार की त्वरित पहल
नागेश्वरन ने कहा कि टैरिफ लागू होने के तुरंत बाद से सरकार ने निरंतर बैठकें और चर्चाएं शुरू कर दी हैं। इन चर्चाओं में निर्यात संवर्धन एजेंसियां, व्यापार संघ, और निजी क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। वित्त मंत्रालय और अन्य मंत्रालय देर रात तक काम कर रहे हैं ताकि प्रभावित सेक्टर्स के लिए ठोस रणनीति बनाई जा सके।
उन्होंने बताया कि सरकार का पहला लक्ष्य प्रभावित उद्योगों को वित्तीय राहत और जरूरी सहयोग उपलब्ध कराना है ताकि वे इस चुनौती का सामना कर सकें।
भारतीय अर्थव्यवस्था बनी मजबूत
सीईए ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर जोर देते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 7.8 प्रतिशत रही है, जो पिछले साल की तुलना में बेहतर है। नाममात्र जीडीपी में भी 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है, जो निजी अर्थशास्त्रियों के अनुमानों से अधिक है।
नागेश्वरन ने कहा कि ये आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत है।

निष्कर्ष
सीईए ने साफ किया कि ट्रंप के टैरिफ से चुनौतियां जरूर बढ़ी हैं, लेकिन भारत के पास संकट से निपटने की क्षमता है। घरेलू खपत और सरकार की रणनीतिक पहलें इसे संतुलित करने में मदद करेंगी।






