नई धुरी? बीजिंग परेड में जिनपिंग, पुतिन और किम जोंग की नजदीकी पर भड़के ट्रंप, अमेरिका के खिलाफ साजिश का लगाया आरोप
बीजिंग/वाशिंगटन। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के 80 वर्ष पूरे होने पर चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित भव्य सैन्य परेड ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल मचा दी है। इस परेड की सबसे बड़ी चर्चा का विषय रहा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन का एक साथ मंच पर दिखाई देना। तीनों शक्तिशाली नेताओं की इस मौजूदगी ने वैश्विक मंच पर यह संदेश देने की कोशिश की कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया एक साझा धुरी बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं।

ट्रंप का तीखा हमला
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा,
“मेरी ओर से व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन को ढेर सारी शुभकामनाएं, जब आप अमेरिका के खिलाफ साजिश रच रहे हों।”
ट्रंप के इस बयान ने अमेरिकी राजनीति में हलचल मचा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आरोप न केवल वाशिंगटन की कूटनीतिक चिंता को उजागर करता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि आने वाले समय में अमेरिका और इन देशों के रिश्ते और तनावपूर्ण हो सकते हैं।
चीन का शक्ति प्रदर्शन
परेड में चीन ने अपने आधुनिक हथियारों, लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का प्रदर्शन किया। शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि “चीन कभी किसी से डरता नहीं है और हमेशा आगे बढ़ता रहता है।” उन्होंने जनता से इतिहास को याद रखने और जापान के खिलाफ जंग लड़ने वाले वीरों को सम्मान देने की अपील की। परेड को चीन के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और सैन्य ताकत का प्रतीक माना जा रहा है।

दुनिया के नेताओं की मौजूदगी
इस परेड में 26 देशों के शीर्ष नेताओं ने शिरकत की। इनमें ईरान, मलेशिया, म्यांमार, मंगोलिया, इंडोनेशिया, ज़िम्बाब्वे और मध्य एशियाई देशों के प्रमुख शामिल थे। भारत के पड़ोस से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी परेड का हिस्सा बने।
अमेरिका की कूटनीतिक चुनौती
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि जिनपिंग, पुतिन और किम जोंग उन की एकजुटता अमेरिका के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती है। ट्रंप के आरोप इस बात की ओर इशारा करते हैं कि अमेरिका इन देशों की बढ़ती नजदीकी को अपने खिलाफ उभरती धुरी के रूप में देख रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में वाशिंगटन और बीजिंग-मॉस्को-प्योंगयांग के बीच रिश्तों में और खटास देखने को मिल सकती है।






