दिसम्बर 6, 2025

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नेपाल में मचे सियासी भूचाल के बीच पीएम ओली का ‘दुबई प्लान’? इस्तीफों और आगजनी से हिली सत्ता

काठमांडू। नेपाल इस समय जबरदस्त राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सत्तारूढ़ गठबंधन की टूट और जनाक्रोश के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली एक असमंजस भरे दौर में खड़े हैं। सूत्रों के अनुसार, लगातार बढ़ रहे विरोध प्रदर्शनों और सुरक्षा खतरों के चलते ओली दुबई जाने की तैयारी कर रहे हैं—वह भी इलाज के बहाने।


UML मंत्रियों को इस्तीफा न देने का निर्देश

प्रधानमंत्री ओली ने अपनी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूएमएल (UML) के मंत्रियों को साफ संदेश दिया है कि वे किसी भी सूरत में इस्तीफा न दें। उन्होंने कहा,

“जब नेपाली कांग्रेस के नौ मंत्री पद छोड़ चुके हैं, ऐसे समय में UML को मजबूती से डटे रहना होगा।”

इस निर्देश के पीछे ओली की रणनीति साफ दिखाई देती है—किसी भी हालत में सत्ता संतुलन बनाए रखना और सरकार के गिरने से बचना।


हिंसक हुए विरोध प्रदर्शन

सोमवार (8 सितंबर) को भड़के विरोध प्रदर्शनों ने राजधानी समेत कई जिलों को हिला दिया। ओली का कहना है कि इन प्रदर्शनों में “बाहरी असामाजिक तत्वों” की घुसपैठ हुई, जिसकी वजह से हालात हिंसक बने।

  • प्रदर्शनकारियों ने सूचना मंत्री पृथ्वीसुब्बा गुरुंग के घर पर आगजनी की।
  • पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के आवास पर तोड़फोड़ हुई।
  • गुस्साई भीड़ पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर की ओर भी बढ़ी, जिसे पुलिस ने रोकने की कोशिश की।

पीएम ओली की सुरक्षा चिंता और दुबई जाने की तैयारी

सूत्रों का कहना है कि विरोध की लहर और मंत्रियों के इस्तीफों ने ओली की सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है। इसी कारण वे इलाज का हवाला देकर दुबई जाने की योजना बना रहे हैं। बताया जा रहा है कि इसके लिए हिमालय एयरलाइंस की उड़ान विकल्प के तौर पर चुनी गई है।


हिंसा पर सरकार का कदम

सरकार ने इन घटनाओं की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है, जिसे 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपनी होगी। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इतनी जल्दी कोई ठोस नतीजा सामने आना मुश्किल होगा। इस बीच, कर्फ्यू लागू होने के बावजूद मंगलवार को भी कई इलाकों में प्रदर्शन जारी रहे।


नेपाल की सियासत पर उठते सवाल

ओली का दुबई प्लान, UML मंत्रियों की मजबूती और कांग्रेस मंत्रियों के इस्तीफे ने नेपाली राजनीति को अस्थिर मोड़ पर ला खड़ा किया है। सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री वाकई इलाज के बहाने देश छोड़ेंगे या यह केवल राजनीतिक रणनीति है?

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