दिसम्बर 6, 2025

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बीजेपी में घमासान: राजीव प्रताप रूडी ने सांसद निशिकांत दुबे को बताया ‘अहंकारी’, कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव से भड़की अंदरूनी जंग

नई दिल्ली/रांची। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में इन दिनों अंदरूनी खींचतान खुलकर सामने आ रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद राजीव प्रताप रूडी ने अपने ही सहयोगी सांसद निशिकांत दुबे पर कड़ा हमला बोलते हुए उन्हें ‘अहंकारी’ करार दिया है। कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव को लेकर भड़का यह विवाद अब पार्टी की अंदरूनी राजनीति की गहराईयों को उजागर कर रहा है।


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रूडी का आरोप: दुबे चला रहे ‘अपनी सरकार’

राजीव प्रताप रूडी ने एक वीडियो इंटरव्यू में निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा,
“निशिकांत दुबे संसद में खुद को इतना अहम मानते हैं कि वे मानो अपनी अलग सरकार चला रहे हों। उन्होंने अपनी सरकार बना रखी है और मैं उसकी सरकार का हिस्सा नहीं हूं।”

रूडी ने दावा किया कि दुबे की कार्यशैली बीजेपी और संसद दोनों में असंतुलन पैदा कर रही है और वे खुद को पार्टी से ऊपर मानते हैं।


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कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव से शुरू हुआ विवाद

रूडी ने साफ तौर पर कहा कि दिल्ली कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव में उनके खिलाफ सक्रिय रूप से प्रचार करने के पीछे निशिकांत दुबे का ही हाथ था। उन्होंने आरोप लगाया कि दुबे ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि वे चुनाव न जीत पाएं।

यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि विवाद केवल विचारों या रणनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी खींचतान गहराती जा रही है।


‘वरिष्ठ नेतृत्व ने दिया साथ, लेकिन…’

रूडी ने यह भी कहा कि उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर पूरा भरोसा है। उन्होंने दावा किया कि अमित शाह और जेपी नड्डा ने उन्हें समर्थन दिया। बावजूद इसके, दुबे ने उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारकर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की।
“यह पूरी रणनीति निशिकांत दुबे की ही थी,” रूडी ने कहा।


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बीजेपी के अनुशासन पर सवाल

बीजेपी लंबे समय से अपने संगठनात्मक अनुशासन और आंतरिक एकजुटता के लिए जानी जाती है। लेकिन रूडी और दुबे के बीच सार्वजनिक टकराव ने पार्टी के भीतर असंतोष और खेमेबाजी के संकेत दे दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह विवाद लंबा खिंचता है, तो इसका असर न केवल झारखंड की सियासत पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी की छवि पर पड़ सकता है।


सबकी नजरें अब निशिकांत दुबे पर

फिलहाल, सियासी हलकों में यह चर्चा तेज है कि निशिकांत दुबे इन आरोपों का क्या जवाब देंगे। दुबे अपनी बेबाकी और तीखे बयानों के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में उनके पलटवार की संभावना भी मजबूत है।

बीजेपी नेतृत्व के लिए यह विवाद एक नया सिरदर्द साबित हो सकता है, क्योंकि पार्टी इस समय अनुशासन और एकजुटता का संदेश देने में जुटी है।


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