अब डीएपी मिलेगा पुरानी दरों पर किसानों को
पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के दौरान उर्वरक की कीमतों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को एक डिटेल्ड प्रजेनटेशन दिया गया। स्टेटमेंट में कहा गया, 'यह चर्चा की गई कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की बढ़ती कीमतों के कारण उर्वरकों की कीमत में वृद्धि हो रही है। पीएम ने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर खाद मिलनी चाहिए।'
स्टेटमेंट में यह भी कहा गया कि डीएपी उर्वरक के लिए सब्सिडी को 500 रुपये प्रति बैग 1200 प्रति बैग करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया गया। सब्सिडी में ये 140% की वृद्धि है। इसमें आगे कहा गया, 'इस प्रकार, डीएपी की अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमतों में वृद्धि के बावजूद, इसे 1200 रुपये के पुराने मूल्य पर बेचना जारी रखने का निर्णय लिया गया है और केंद्र सरकार ने मूल्य वृद्धि का सारा बोझ उठाने का फैसला किया है। प्रति बोरी सब्सिडी की राशि एक बार में इतनी अधिक कभी नहीं बढ़ाई गई।'
सरकार का यह कदम उर्वरक कंपनियों द्वारा डीएपी कीमतों में तेज बढ़ोतरी की घोषणा के एक महीने बाद आया है। 8 अप्रैल को, इंडियन फार्मर्स कोऑपरेटिव (इफको) ने 50 किलो डीएपी बैग की अधिकतम खुदरा कीमत 58 प्रतिशत बढ़ाकर 1,200 रुपये प्रति बैग से 1,900 रुपये प्रति बैग कर दी थी। नई कीमत 1 अप्रैल 2021 से प्रभावी थी। केंद्र ने उर्वरक उद्योग से डीएपी की खुदरा कीमतों को "उचित" स्तर पर बनाए रखने का आग्रह किया था।
बयान में कहा गया 'हाल ही में, डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60% से 70% तक बढ़ गई हैं। इसलिए डीएपी बैग की वास्तविक कीमत अब 2400 रुपये है, जिसे उर्वरक कंपनियां 500 रुपये की सब्सिडी पर विचार कर 1900 रुपये में बेच सकती हैं। आज के फैसले से किसानों को 1200 रुपये में डीएपी बैग मिलता रहेगा।'
पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1,700 रुपये प्रति बोरी थी। जिसमें केंद्र सरकार 500 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी दे रही थी। इसलिए कंपनियां किसानों को 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद बेच रही थीं। डीएपी उर्वरकों के लिए सब्सिडी में वृद्धि का मतलब आगामी खरीफ सीजन में सरकार पर 14,775 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ होगा।
बयान में कहा गया, 'केंद्र सरकार हर साल रासायनिक उर्वरकों के लिए सब्सिडी पर लगभग 80,000 करोड़ रुपये खर्च करती है। डीएपी में सब्सिडी में वृद्धि के साथ, भारत सरकार खरीफ सीजन में सब्सिडी के रूप में अतिरिक्त 14,775 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
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