नतीजा मौत; गेहूं के दानों से करवाता रहा मां का इलाज, कर्जे में डूबी
इन लोगों ने पहले तो साफ तौर पर मना कर दिया कि वे कुछ नहीं बताना चाहते, लेकिन जब टीम ने कहा कि आपको मिले सबक से बाकी लोग सीखेंगे तो पहचान छिपाने की शर्त पर अपनी आपबीती सुनाई। जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप उठे। कुछ लोगों ने अपनी पीड़ा सोशल मीडिया पर डालकर इन कथित ढोंगियों से बचने की सलाह दी।
सबसे डरावना पक्ष यह भी था कि इन बाबाओं के झांसे में आने वालों में पढ़े लिखे वर्ग के भी लोग हैं, जिनमें एक डॉक्टर और शिक्षक भी शामिल हैं। इनका कहना था कि वे पढ़े-लिखे होने के बाद भी न जाने कैसे इन बाबाओं के चंगुल में फंस गए? वे यह तक कहते हैं कि आज तक उनसे मिली तकलीफ को भूल नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में कभी भी इन पाखंडियों के पास नहीं जाना चाहिए। अगर बीमारी है तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
जयपुर जिले के पास सीकर में एक डॉक्टर हैं, जिनका अपना क्लीनिक है। वे खुद ऐसे ही एक बाबा के चक्कर में फंस गए उन्होंने बताया कि मां दुनिया से अलविदा कह गई तो वहीं एक महिला कर्ज में डूब गई। मां को याद कर बेटे को रातों में नींद नहीं आती तो महिला कर्ज से आज भी नहीं उबर सकी।
केस' सीकर
मां को कैंसर होने पर पहुंचे बाबा की शरण में
पेशे से डॉक्टर बताते हैं कि 2017 में मां को कैंसर हो गया था। किसी ने सीकर में बाबा की शरण में जाकर इलाज कराने की नसीहत दी। पहले तो काफी सोचा, फिर मान गए। बाबा की शरण में गए तो इलाज का भरोसा दिया। रोजाना महाराज के पास जाने लग गया, जिसने जल्द ही मां की बीमारी को ठीक करने की बात कही। कुछ गेहूं के दाने और भभूती लगा दी। बाबा के पास काफी पढ़े-लिखे लोग इलाज के लिए आते थे। कुछ दिनों के बाद दोबारा बाबा के पास पहुंचे। फिर से गेहूं के दाने और भभूती लगाकर दे दी, लेकिन मां की बीमारी ठीक नहीं हो रही थी।
डॉक्टर ने पहुंचकर इलाज शुरू कराया
वे बताते हैं कि मां का दर्द बढ़ता जा रहा था। तब वे एक डॉक्टर के पास इलाज कराने गए। उनके टेस्ट भी कराए। डॉक्टर ने इलाज शुरू कर दिया। रोजाना दवाई देने लग गए। तब कुछ दिनों में मां को काफी आराम मिला। इसके बाद कुछ महीनों में मां ठीक होने लग गई। इस दौरान मां को फिर से बाबा के पास लेकर गए। बाबा ने उन्हें विश्वास दिलाया कि मां को कुछ नहीं होगा। ठीक हो जाएगी। उसने सवामणी करने की बात कही। बोला कि सवामणी करते ही सब ठीक हो जाएगा।
सवामणी के बाद बिल्कुल ठीक हैं,बाबा बोला- ढोंग कर रही मां,
बाबा के कहने पर उन्होंने सवामणी भी करा दी। वो बोला सब दर्द दूर हो जाएंगे। कुछ दिनों के बाद मां की तबीयत बिगड़ने लग गई। वे फिर बाबा के पास पहुंचे। बेशर्म बाबा बोला कि मां ढोंग कर रही है, कुछ नहीं है। सवामणी करा दी है, सब ठीक है। वे मां को लेकर वापस घर आ गए। कुछ दिनों तक दर्द बंद नहीं हुआ तो वे डॉक्टर के पास इलाज के लिए लेकर गए। दोबारा से उनके चेकअप कराए। उनके फेफड़ों तक कैंसर फैल चुका था। डॉक्टर ने कहा कि पहले काफी ठीक थीं, इलाज बीच में ही क्यों रोका। डॉक्टर ने भी स्थिति नाजुक होने की बात कही। तब कुछ दिनों के बाद मां की मृत्यु हो गई।
काश बाबा के चक्कर में नहीं फंसते, मन में अफसोस
वे कहते हैं कि अब मन में काफी अफसोस रहता है। ढोंगी बाबा के चक्कर में नहीं फंसते तो आज मां साथ में होती है। वे कई बार रातों को सो नहीं पाते हैं। चुपचाप बैठ कर रोते रहते हैं। लोगों के बहकावे में आकर वे मां का सही तरह से इलाज नहीं करा सके। बाबा के चक्कर में काफी रुपए भी लुटा दिए। बाबा के आश्रम में वे 6 महीने तक चक्कर लगाते रहे। अब उन्होंने बाबा के आश्रम में जाना ही छोड़ दिया है।
केस-2, स्थान : जयपुर
बेटा बीमार हुआ तो बाबाओं की शरण में पहुंची मां, लाखों का हुआ कर्ज
जयपुर में एक महिला ने बताया कि बेटा दसवीं कक्षा में पढ़ता था। दो साल पहले की बात है। मानसिक तनाव में रहने लग गया। चक्कर आकर जमीन पर गिर जाता था। किसी ने बताया कि बाबा के पास ले जाओ। आमेर में एक बाबा के पास ले गई। वह गेहूं फेंक कर मारता। कुछ भभूती भी देता था। आराम नहीं मिला तो दूसरे बाबा के पास पहुंची। वहां भी कई चक्कर लगाए। तीसरे बाबा के पास पहुंची। बेटा पागल सा होने लग गया था। अजीब आवाजें निकालता था। उसकी हालत खराब होती जा रही थी।
कोई चौराहे पर मिठाई रखने तो कोई मंत्रित पानी देता
महिला ने बताया कि बाबा उसे अजीब तरह के इलाज बताते थे। कोई उसे चौराहे पर मिठाई रखने और कोई मंत्रित पानी पिलाने के लिए देता था। बेटे ने खाना-पीना बंद कर दिया था, वह अजीब बातें बोलता रहता था। जयपुर में कई बाबा के पास चक्कर लगाए। कोई ऊपर का चक्कर बताता तो कोई कुछ बताता था। परेशान होकर इधर-उधर भटकती रही।
डूब गई लाखों के कर्ज में
बेशर्म बाबा इलाज के नाम पर लूट मचाते रहे। बेटे की बीमारी से परेशान महिला ने किसी बाबा को 21 हजार तो किसी को 31 हजार रुपए तक दिए। किसी ने इक्कीस सौ रुपए ही लिए। परिवार मजदूरी करके पेट पालता है, ऐसे में आर्थिक रूप से टूट गई। लोगों से कर्ज लेकर बाबाओं को रुपए दिए। सूदखोरों से भी रुपए लेने पड़े। बाबाओं के चक्कर में महिला कर्ज के बोझ तले दब गई।
आखिर, डॉक्टर के पास मिला सही इलाज
महिला बेटे की बीमारी से तंग आ चुकी थी। पड़ोस के लोगों ने उसे डॉक्टर के पास ले जाने की बात कही। तब वह मनोचिकित्सक के पास गई। इलाज शुरू हुआ। शुरू में दवाई के कारण कई-कई घंटों तक सोता रहता था। बाद में धीरे-धीरे ठीक होने लग गया। कुछ महीने में ही बेटा ठीक हो गया। उसने दसवीं की परीक्षा भी दी और अच्छे नंबरों से पास भी हो गया। अब उसकी दवाई भी बंद हो चुकी है।
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