जिला चिकित्सालय के भवन से मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजकर लूटने का सिलसिला सालों से चल रहा
मेडिकल कॉलेज संचालित करने में जिला चिकित्सालय की बिल्डिंग पड़ रही छोटी
जिला चिकित्सालय के भवन में मेडिकल कॉलेज का संचालन हमेशा-हमेशा के लिए कैसे किया जा सकता है। यह तो 6-7 साल पहले की बात है जब यहां के विधायक और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मेडिकल कॉलेज और उसके अस्पताल के लिये नई स्वीकृति दी। फिर स्व. प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी के नाम से नामकरण भी हो गया। 475 करोड़ रू. की मंजूरी से हैदराबाद की ठेका कंपनी द्वारा में 50 एकड़ की जमीन पर मेडिकल कॉलेज व उसका अस्पताल तथा चिकित्सक आवासीय परिसर तैयार भी हो गया। मेडिकल कॉलेज 2 साल पहले शिफ्ट हो गया है ओर वहां अस्पताल की नई बिल्डिंग में कोरोना के मरीजों का इलाज चालू किया गया। स्वीकृति के बाद से मेडिकल कॉलेज अस्पताल जिला चिकित्सालय की बिल्डिंग में वहीं के स्टाफ और उपकरणों के साथ ही संचालित हो रहा है। मरीजों की बढ़ती भीड़ के साथ मानव एवं मशीनरी संसाधनों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है जिससे जिला अस्पताल की बिल्डिंग में मेडिकल कॉलेज अस्पताल संचालित करना अब बहुत ही मुश्किल हो गया है। ऐसे में पेंड्री स्थित उनके अपने अस्पताल भवन में स्थानांतरित करना अत्यावश्यक हो गया है।
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मेडिकल कॉलेज अस्पताल और जिला चिकित्सालय दोनों की अपनी अलग-अलग गाइड लाइन होती है। उसके अनुसार मेडिकल कॉलेज अस्पताल पेंड्री शिफ्ट हो और जिला चिकित्सालय अपने ही भवन में संचालित होती रहे।
श्रीमती हेमा सुदेश देशमुख
महापौर
अभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल की शिफ्टिंग का आर्डर नहीं आया है। डिसीजन भी नहीं लिये हैं, जैसे शासन का आदेश आयेगा उसके अनुसार कार्य करेंगे। फिलहाल शिफ्टिंग को लेकर तैयारी हो रही है।
डॉ. रेणुका गहने
डीन, मेडिकल कॉलेज
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