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कोंडागांव
झीरमकांड की आज 8वीं बरसी
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 25 मई 2021,  03:19 PM IST

अब तक पता नहीं लगा पाई एनआईए मास्टरमाइंड कौन?

बाद में एसआईटी के गठन को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर एनआईए के पक्ष में फैसला आया और एनआईए को ही जांच करने कहा गया। ऐसे में वर्तमान में एनआईए ही मामले की जांच कर रही है। जबकि राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जांच फिलहाल स्थगित है। राज्य सरकार ने एसआईटी के गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जहां मामला विचाराधीन होने के कारण एसआईटी की जांच पर स्टे लगा हुआ है। इधर एनआईए ने करीब सौ से ज्यादा नक्सलियों की गिरफ्तारी कर भी दावा किया है, लेकिन अब तक बड़े नक्सली लीडरों या मास्टरमाइंड तक एनआईए नहीं पहुंच पाई है। 8 साल पहले नक्सलियों के दरभा डिवीजन ने कांग्रेसी नेताओं की हत्या कर दी थी, वहीं दो साल पहले लोकसभा चुनाव के ठीक दो दिन पहले ही दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी की हत्या की।





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अब भी दरभा इलाके पर नक्सलियों की पकड़ बरकरार, झीरम हमले के 8 साल बाद
दूसरी तरफ झीरम हमले की घटना के बाद झीरम और दरभा इलाके से नक्सलवाद का खात्मा करने का सभी संकल्प भी लिया गया था, लेकिन हमले के 8 साल बाद भी इलाके पर नक्सलियों की पकड़ जस की तस बनी हुई है। झीरम हमले के बाद इस पूरे इलाके को कॉर्डन करने एक के बाद एक लगातार 8 कैंप और थाने खोले गए और इस पूरे इलाके में हजारों जवानों की तैनाती भी कर दी गई। इस कवायद में नक्सलियों का संगठन थोड़ा बैकफुट पर तो आता दिखा, लेकिन उनकी गतिविधियां आज भी इस इलाके में जारी हैं।





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नक्सली देवा के हाथ दरभा डिवीजन की कमान
झीरम हमले की कमान दरभा डिवीजन के हाथ थी और हमले के 8 साल बाद भी दरभा डिवीजन पूरी ताकत के साथ इलाके पर अपना वर्चस्व बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि दरभा डिवीजन की कमान फिलहाल नक्सली देवा हाथ है, जो दरभा डिवीजनल कमेटी का सचिव भी है। इधर ये भी आसार हैं कि नक्सलियों की पीएलजीए ने ही हमला किया होगा।





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टाहकवाड़ा ओडिशा से माड़ आने-जाने सबसे सुरक्षित रूट
झीरम से कुछ दूर आगे बसा टाहकवाड़ा का इलाका अब भी नक्सलियों के गुजरने के लिए सबसे सुरक्षित रूट बना हुआ है। बताया जाता है कि इस रूट का उपयोग नक्सली ओडिशा से अबूझमाड़ जाने के लिए करते हैं। झीरम हमले से पहले और बाद अब भी नक्सली आने-जाने के लिए इसी रूट का उपयोग करते हैं। ऐसे में टाहकवाड़ा को नक्सलियों ने अपना क्रॉसिंग प्वाइंट बनाकर रखा हुआ है। दरभा इलाके में वारदातों को अंजाम देने के बाद नक्सली टाहकवाड़ा होते हुए ही अबूझमाड़ या ओडिशा के लिए निकल जाते हैं।





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2006-07 में हुआ था दरभा डिवीजन का गठन ताकि सुकमा-बीजापुर के ऑपरेशन से भटकाया जा सके ध्यान
नक्सलियों ने साल 2006-07 में दरभा डिवीजन का गठन किया था। इस डिवीजन को खड़ा करने का उनका उद्देश्य ये था कि नेशनल हाइवे पर नक्सल गतिविधियों को बढ़ाने के साथ ही सुकमा-बीजापुर में चल रहे ऑपरेशन से ध्यान भटकाना और ओडिशा से अबूझमाड़ तक आने-जाने सुरक्षित रोड मैप तैयार करना भी था। साल 2010 के बाद दरभा डिवीजन ने अपनी सक्रियता बढ़ाई और दरभा के एक पूरे हिस्से को लाल गलियारे में तब्दील कर दिया, फिर साल 2013 में झीरम हमला कर देश और दुनिया को अपनी ताकत बताई।





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एनआईए कर रही जांच, एसआईटी जांच फिलहाल स्थगित
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने बताया झीरम घाटी हमले की जांच अभी एनआईए के पास ही है। सुप्रीम कोर्ट में एसआईटी को लेकर दायर याचिका पर केस विचाराधीन होने के कारण अभी एसआईटी की जांच स्थगित है। हाईकोर्ट ने एनआईए के पक्ष में आदेश देते हुए उसे जांच जारी रखने कहा था। एनआईए कोर्ट में गिरफ्तार किए गए नक्सलियों के खिलाफ चालान पेश किए जा चुके हैं। अभी एनआईए की जांच जारी है।





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