राहत कैम्प में अब भी 67 ग्रामीण
तीन दिन तक लगातार बारिश के कारण महानदी से लगे सरिया, बरमकेला, पुसौर और सारंगढ़ के 15 गांवों में पानी भर गया। लोगों के घरों में पानी घुस गया। गुरुवार दोपहर 3 बजे तक महानदी में जलस्तर कम होता जा रहा है। हीराकुद डेम के 28 गेट खोले गए हैं। महानदी को उफान पर देख कलेक्टर भीम सिंह ने बुधवार रात संबलपुर कलेक्टर से बातचीत की थी। बोरिदा और ठेंगागुड़ी के 66 लोगों को लुकापारा राहत शिविर में शिफ्ट कराया गया है। पुसौर में सूरजगढ़ की बस्तियों में पानी भरे जाने के बाद, प्रशासनिक टीम ने उन्हें पड़िगांव स्थित राहत कैंप में लाने के लिए कहा गया। प्रशासन ने पड़िगांव और छिछोरउमरिया में राहत कैंप लगाया गया। यहां से भोजन बना प्रभावित इलाकों में पहुंचाया गया। जरूरी सामान भी उपलब्ध कराया गया है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता तापस मजूमदार ने बताया कि कलमा बैराज में जलस्तर खतरे के निशान से 1.97 मीटर नीचे है। बैराज के सभी 66 गेट खुले हुए हैं, हीराकुद डेम के 28 गेट भी खोले गए हैं। जलस्तर में 2 घंटे में 5 सेमी की कमी आई है और देर शाम तक 5 से 10 सेमी की कमी आ सकती है।
पानी बढ़ने की उम्मीद नहीं थी, कैंप भी नहीं बनाया
लगातार बारिश होने के बाद चन्द्रपुर से बरमकेला की सड़क के अलावा सरिया के बोरिदा, लिप्ती और ठेंगागुड़ी गांवों में पानी भर गया। आरआई और पटवारियों ने बताया कि जल स्तर कम होने से राहत कैंप नहीं बनाए गए, पर गुरुवार की सुबह एकाएक पानी का जल स्तर बढ़ा, जिसके बाद बरमकेला ब्लॉक के रतनपाली, लिप्ती, नंदीगांव, बुदबुदा, परसरामपुर, सूरजगढ़, पोरथ, रानीडीह, तोरा, कोर्रा, ठेंगागुड़ी, विजयपुर, बोरिदा जैसे गांवों में पानी भरा है।
बारिश अब भी कम
महानदी के उफनने और बाढ़ जैसी हालत होने से परेशान भले हो लेकिन जिले में बारिश अब भी कम है। औसत के मुकाबले लगभग 83 प्रतिशत ही बारिश हुई है। 15 सितंबर तक 868.7 मिलीमीटर बारिश हुई है।
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