हर विभाग में डॉक्टरों की कमी
विभागों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। माइनर ओटी में तो प्लास्टर करने तक के सामान नहीं हैं। इसलिए एक्सीडेंट के केस रेफर किए जा रहे हैं। विडंबना है कि पूरे परिसर में रंगरोगन तो किया जा रहा है पर ओपीडी में ऑनलाइन पर्ची सिस्टम शुरू करने एक कंप्यूटर तक की सुविधा नहीं दी गई है। इस चक्कर में ओपीडी पर्ची बनाने देर तक इंतजार करना पड़ता है। जिला अस्पताल में 100 बेड की स्वीकृति है और मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में भी 100 बेड की व्यवस्था दी गई है पर लचर व्यवस्था के चलते अस्पताल में 17 मरीज जनरल वार्ड में भर्ती हैं तो वहीं एसएनसीयू में 15 बच्चों का इलाज चल रहा है।
रेफर कर रहे केस, पूरे वार्ड में सन्नाटा पसरा
मदर एंड चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में 20 मरीज भर्ती हैं। पूरे वार्ड में सन्नाटा पसरा हुआ है। सुविधाओं की कमी के चलते मरीजों को भर्ती नहीं लिया जा रहा। ड्यूटी डॉक्टर चेक करने के बाद सीधे पेंड्री मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रेफर कर दिया जा रहा है। सिविल सर्जन डॉ. यूएस चंद्रवंशी ने बताया कि बजट की मांग की गई है। स्थिति में सुधार किया जा रहा।
रेडियोलॉजिस्ट नहीं मशीन बन गई शोपीस
जिला अस्पताल में सीटी स्कैन और डिजीटल एक्स-रे मशीन तो है पर रिपोर्ट देने रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। स्थिति यह है कि मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल प्रबंधन एक घंटे के लिए रेडियोलॉजिस्ट की यहां ड्यूटी लगा रहे हैं पर जिला अस्पताल के मरीजों की जांच नहीं हो रही है। इस जांच के लिए भी मरीजों को बाहर जाना पड़ रहा है जो कि भारी पड़ता है।
प्लास्टर तक नहीं कर रहे, भेज रहे हैं बाहर
दुर्घटना में घायल या फिर अन्य जगहों पर चोटिल हुए मरीजों का जिला अस्पताल में प्लास्टर तक नहीं हो पा रहा है। माइनर ओटी में प्लास्टर संबंधित सामान नहीं हैं। मरीजों का सामान्य पट्टी मरहम बस किया जा रहा है। गंभीर रूप से घायल मरीजों को तो पेंड्री भेज दे रहे हैं। शुक्रवार को घायल हुए दो ग्रामीणों का सामान्य पट्टी, मरहम करने के बाद रेफर कर दिया गया।
बजट नहीं मिलने के कारण स्थिति बिगड़ी
अस्पताल प्रबंधन नेे डीएचओ को पत्र लिखकर अस्पताल की स्थिति से अवगत कराते हुए बजट की मांग की गई है। स्थिति यह है कि ओपीडी में मरीजों के बैठने के लिए कुर्सी, टेबल तक की कमी है। स्टोर में जरूरी दवाइयों की भी कमी बनी हुई है। बजट के अभाव में लोकल पर्चेसिंग भी नहीं कर पा रहे। बच्चों के रोग से संबंधित दवाइयां ही नहीं हैं।
अस्पताल के हर विभाग में डॉक्टरों की कमी
मेडिसीन डिपार्टमेंट के एचओडी को सिविल सर्जन बनाया गया है। डॉ. यूएस चंद्रवंशी सिविल सर्जन का प्रभार संभाल रहे हैं। इनके पास पूरे अस्पताल के प्रबंधन की जिम्मेदारी है। अस्पताल को नए सिरे से डवलप करने जुटे हुए हैं। मेडिसीन डिपार्टमेंट में अतिरिक्त डॉक्टर ही नहीं हैं। यही स्थिति सभी डिपार्टमेंट की है। विभागों में केवल एक-एक डॉक्टर हैं।
शिफ्टिंग के एक माह बीत जाने के बाद भी ओपीडी पर्ची काउंटर में कम्प्यूटर तक नहीं रखा गया है। इसलिए कर्मचारियों को मैनुअल पर्ची बनानी पड़ रही है। जीवनदीप समिति की पर्ची में नाम, पता, मोबाइल नंबर लिखते समय लग जा रहा है। इसके बाद मरीज के नाम को रजिस्टर में इंट्री करने में समय बीत रहा। कर्मचारियों के साथ पर्ची बनवाने वाले परेशान हैं।
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