धान को बारिश से बचाने
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के विपणन अधिकारी आरबी सिंह ने बताया कि बारिश के कारण कई केंद्रों में धान के भीगने की शिकायत मिलती थी। जिसे सुरक्षित रखने के लिए धान खरीदी प्रभारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। अब शेड और गोदाम बनने के कारण इन्हें राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि शेड और गोदाम को बनाने की जिम्मेदारी मंडी बोर्ड को दी गई है।
गौरतलब है कि बस्तर जिले में अब तक धान खरीदी में इसे सुरक्षित रखने के लिए लगातार खरीदी प्रभारियों की ओर शेड और गोदाम बनाए जाने की मांग की जा रही थी। शेड और गोदाम के बनने से खरीदी प्रभारी तिरपाल और कैप कवर खरीदकर धान को भीगने से बचाते थे। इस काम में खरीदी प्रभारियों को काफी पैसे खर्च करना पड़ता था। जिससे अब उन्हें निजात मिल जाएगी।
जिले में धान बेचने को लेकर अब तक पंजीयन शुरू नहीं हुआ है। जिला सहकारी केंद्रीय बैक के अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल 17 अगस्त से लेकर 31 अक्टूबर तक किसानों को पंजीयन कराने की सुविधा मिली थी। लेकिन इस साल अब तक पंजीयन को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं। 2500 रुपए प्रति क्विंटल के मान से की जाने वाली खरीदी का फायदा उठाने के लिए इस साल बड़ी संख्या में नए किसानों के पंजीयन कराने की बात सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक पिछले 29 हजार 31 किसानों ने धान बेचा था। जिसमे सबसे अधिक किसान जगदलपुर, बस्तर और बकावंड ब्लॉक के थे।
डेढ़ करोड़ रुपए होंगे: खर्चधान को सुरक्षित रखने के लिए पहले सभी केंद्राें में चबूतरा बनाया गया था। पहले चरण में इस काम के पूरा होने के बाद अब दूसरे चरण में शोड और गोदाम बनाए जाने की योजना बनाई गई है। इस योजना में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च होंगे। सिंह ने बताया कि दूसरे चरण में मंडी बोर्ड द्वारा किए जाने वाले इस काम में 23 धान खरीदी केंद्रों में केवल शेड तो वहीं 16 केंद्रों में शेड सहित गोदाम बनाया जाएगा। इसके अलावा एक केंद्र में 200 मीट्रिक टन धान का गोदाम बनेगा। जहां पर धान को सुरक्षित रखा जाएगा।
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