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गिरि के पास कहां से आई रस्सी और सल्फास
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 21 सितम्बर 2021,  05:38 PM IST

FIR से लेकर 7 पन्नों के सुसाइड नोट तक सब कुछ यहां पढ़िए





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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल किया जा रहा था। उनके किसी वीडियो की सीडी तैयार की गई थी। पुलिस ने यह सीडी भी बरामद की है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा पाने वाले एक नेता पर नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल करने का शक है।





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महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद से मठ में रहने वाले सेवादार और शिष्यों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। शिष्य बबलू का कहना है कि रविवार को ही महंत नरेंद्र गिरि ने गेहूं में रखने के लिए सल्फास की गोलियां मंगाई थीं। हालांकि, कमरे में मिली सल्फास की डिब्बी खुली नहीं थी।





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एक शिष्य ने बताया कि महंत ने 2 दिन पहले यह कहकर नायलॉन की नई रस्सी मंगाई थी कि कपड़े टांगने में समस्या आ रही है। शिष्य ने नायलान की रस्सी लाकर दी थी। इसी रस्सी से महंत ने फांसी लगाई। प्रत्यक्षदर्शी सर्वेश ने बताया, 'मैंने और एक अन्य शिष्य सुमित ने महंत जी को फंदे से उतारा था।





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सोमवार देर रात 12.54 बजे महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि पर खुदकुशी के लिए उकसाने का मुकदमा थाना जार्ज टाउन में दर्ज किया गया। आईपीसी की धारा-306 में यह मुकदमा शिष्य अमन गिरी पवन महाराज ने दर्ज कराया है। इसमें लिखा है कि महंत ने चाय पीने के लिए मना कर दिया था और यह कहा था कि जब चाय पीना होगा, स्वयं सूचित करेंगे। शाम 5 बजे फोन स्विच ऑफ आने पर धक्का देकर दरवाजा खोला गया। महाराज पंखे में रस्सी से लटकते हुए पाए गए





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महंत नरेंद्र गिरि के 7 पन्नों के सुसाइड नोट पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे ज्यादा लिखते-पढ़ते नहीं थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट को देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे सब कुछ पहले से तय हो और कई दिनों से इसको लेकर मंथन चल रहा हो। यदि खुद महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा तो उस वक्त उनकी मनोदशा क्या थी?





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प्रयागराज अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महासचिव जीतेंद्रानंद सरस्वती ने दावा किया है कि वह इतना बड़ा सुसाइड नोट लिख ही नहीं सकते। महंत जी सिर्फ हस्ताक्षर और काम चलाऊ लिखना जानते थे।





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महंत नरेंद्र गिरि काशी के मसलों को लेकर हमेशा मुखर रहे। इसलिए उनका काशी के संत-महंतों से आत्मीय संबंध था। जो बात नरेंद्र गिरि को नागवार गुजरती थी, उस पर वह अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देते थे। हाल के वर्षों में काशी में ऐसे 2 प्रकरण सामने आए जब महंत नरेंद्र गिरि ने बेबाकी से अपनी बात रखी थी। काशी में गंगा में मूर्ति विसर्जन पर साधु-संतों ने 2015 में धरना दिया था। पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के नेतृत्व में संतों ने इसके विरोध में प्रतिकार यात्रा निकाली थी।





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महंत नरेंद्र गिरि ने अन्याय प्रतिकार यात्रा पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने दो-टूक कहा था कि गंगा में अस्थि विसर्जन की परंपरा पुरानी है, लेकिन मूर्ति विसर्जन ज्यादा पुराना नहीं है। BHU के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति का उन्होंने समर्थन किया था।





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महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वे शक के दायरे में इसलिए हैं, क्योंकि नरेंद्र गिरि से उनका विवाद काफी पुराना था। इसकी वजह बाघंबरी गद्दी की 300 साल पुरानी वसीयत है, जिसे नरेंद्र गिरि संभाल रहे थे।





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कुछ साल पहले आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि पर गद्दी की 8 बीघा जमीन 40 करोड़ में बेचने का आरोप लगाया था, जिसके बाद विवाद गहरा गया था। आनंद ने नरेंद्र पर अखाड़े के सचिव की हत्या करवाने का आरोप भी लगाया था। 2018 में ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं से छेड़छाड़ के आरोप में फंस चुके आनंद गिरि ने ये आरोप भी लगाए थे कि उन्हें छुड़ाने के नाम पर नरेंद्र गिरि ने कई बड़े लोगों से 4 करोड़ रुपए वसूले थे।





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