सितंबर की मौतें अस्पताल पहुंचने में देरी के कारण
सितंबर के 21 दिन में कोरोना मौत का औसत घटकर 0.38 पर आ गया है। कोरोना से मौतों की ये संख्या रोज एक से भी कम है। प्रदेश में इस पूरे महीने में कोरोना से मौत के 8 मामलों में चार मौतें कोमॉर्बिडिटी यानी कोविड के अलावा दूसरी अन्य गंभीर बीमारियों की वजह हुई हैं। केवल कोरोना की वजह से मरने वालों की संख्या 4 है।
इन्हें कोरोना के अलावा दूसरी कोई बीमारी नहीं थी। पहली लहर के पीक के गुजरने के बाद भले ही केस कम थे, लेकिन जनवरी, फरवरी और मार्च के महीने में 769 से अधिक मौतें हुईं। आंकड़ों के अनुसार पहली लहर का पीक गुजरने के बाद भी प्रदेश में हर दिन हो रही मौत का औसत प्रतिदिन 5 से 11 के बीच रहा है।
इस लिहाज से में मौत के आंकड़ों में भी फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। डेथ ऑडिट कमेटी के विशेषज्ञों के मुताबिक हालांकि इस महीने में मौत के आंकड़े बहुत कम है। लेकिन जो मौतें हुई हैं उनमें मरीजों की कोरोना जांच और इलाज में देरी सबसे बड़ी वजह रही है। संक्रमण के बावजूद लोगों ने कोरोना की जांच करवाने में देरी की। इसी लापरवाही के कारण उनका संक्रमण बढ़ गया और इलाज मिलने में देरी हुई। देरी से इलाज शुरु होने से मरीज गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचे और उन्हें बचाया नहीं जा सका। प्रदेश में चूंकि ज्यादातर मरीज हल्के लक्षण वाले हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अगर समय से इलाज और जांच करवाई जाए तो मौत के आंकड़े इससे और कम हो सकते हैं।
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