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झरने, पहाड़ और दूर तक बिछी सुनहरी रेत...एडवेंचर ट्रैकिंग से लेकर पत्थरों के परिवार तक
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 27 सितम्बर 2021,  03:19 PM IST

पर्यटन स्थल में विकसित हो रहा नक्सलगढ़





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मट्टी मरका (बीजापुर)- यह नाम आप को थोड़ा अटपटा जरूर लग रहा होगा, लेकिन यकीन मानिए इस पर्यटन स्थल की खूबसूरती आप के मन को भा जाएगी। बीजापुर जिले के भोपालपट्नम ब्लाक मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर मट्टीमरका गांव में दूर तक बिछी सुनहरी रेत और ऊंचे-नीचे पत्थरों के बीच से कल-कल बहती इंद्रावती नदी का सौंदर्य देखते ही बनता है। यहां नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा बनाते हुए बहती है। मट्टीमरका को बस्तर के बीजापुर जिले का गोवा भी कहा जाता है। युवा यहां कैंपिंग के लिए पहुंच रहे हैं।





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आकाशनगर (दंतेवाड़ा) - एक तरफ जहां कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है तो वहीं बैलाडीला की हसीन वादियों की तुलना भी इससे की जाती है। बैलाडीला की पहाड़ियों में स्थित आकाश नगर में बारिश के दिनों में यहां काफी नीचे तक बादलों का डेरा होता है। साथ ही ठंडी हवाओं के साथ यहां जमी ओस भी कश्मीर से कम नहीं लगती है। यहां की मनोरम वादियां व ठंडी हवाएं हर किसी का मन मोह लेती है। यही वजह है कि सैलानियों को यह इलाका खूब भाता है। NMDC माइंस इलाका होने की वजह से यह इलाका पहले साल में एक दिन 17 सितंबर को पर्यटकों के लिए खुलता था, लेकिन अब प्रशासन पूरे 365 दिन इसे खोलने की योजना बना रहा है।





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नीलम सरई जल प्रपात - बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक में स्थित नीलम सरई जलधारा हाल ही के कुछ साल पहले सुर्खियों में आई है। स्थानीय युवाओं की टीम ने इस जल प्रपात को लोगों के सामने लेकर आई है। उसूर के सोढ़ी पारा से करीब 7 किमी दूर तीन पहाड़ियों की चढ़ाई को पार कर यहां पहुंचा जा सकता है। नीलम सरई जलप्रपात तक का सफर ट्रैकिंग के लिए ही माना जाता है। बस्तर की हसीन वादियों के बीच ट्रैकिंग करने वालों के लिए यहां का सफर रोमांच भरा होता है।





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नंबी जल प्रपात - बीजापुर जिले के उसूर गांव से 8 किमी पूर्व की ओर नड़पल्ली गांव को पार करने के बाद नंबी गांव आता है। इस गांव से तीन किमी जंगल की ओर दक्षिण दिशा में पहाड़ पर ऊंचा जलप्रपात है। नीचे से देखने पर एक पतली जलधारा बहती सी दिखाई देती है, इसलिए इसे नंबी जलधारा कहते है। धरती की सतह से लगभग 300 फीट की ऊंचाई से गिरने वाले इस जलधारा को देखकर यह कहा जाता है कि यह बस्तर की सबसे ऊंची जलधारा है।





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पत्थरों का परिवार दोबे





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दोबे (बीजापुर)- नीलम सरई से मात्र तीन किमी की दूरी पर एक बेहद शानदार पर्यटन स्थल दोबे स्थित है। दोबे को पत्थरों का परिवार या फिर पत्थरों का गांव भी कहा जाता है, क्योंकि यहां चारों तरफ पत्थरों से बनी हुई अद्भुत कलाकृतियां देखी जा सकती है। बड़े-बड़े पत्थरों से बनी हुई अकल्पनीय कलाकृतियां किसी किले के समान लगती है। अमूमन शिकार के समय ग्रामीण यहां पहुंचते हैं। चट्टानों की खोह रात गुजारने के लिए बेहद सुकून दायक जगह मानी जाती है। तीन दिन पहले ही इस इलाके की खोज स्थानीय युवा रंजन दास व उनकी टीम में यह पर्यटन स्थल की खोज की थी।





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लंका पल्ली जल प्रपात - बीजापुर जिला मुख्यालय से 33 किमी दूर दक्षिण दिशा की ओर आवापल्ली गांव है। यहां से पश्चिम दिशा में लगभग 15 किमी पर लंकापल्ली गांव बसा हुआ है। जो यहां साल के 12 महीने निरंतर बहने वाले जलप्रपात के लिए प्रसिद्ध है। प्रकृति की गोद में शांत एवं स्वच्छंद रूप से अविरल बहती इस जलप्रपात को लोग गोंडी बोली में बोक्ता बोलते हैं।





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इंचमपल्ली बांध





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इंचमपल्ली बांध - ताड़लागुड़ा क्षेत्र के चंदूर-दुधेड़ा गांव की सीमा से लगे गोदावरी नदी पर इंचमपल्ली बांध परियोजना अपने आप में ऐतिहासिक है। जिसका सर्वेक्षण एवं निर्माण कार्य सन 1983 में प्रारंभ होना बताया जाता है। गोदावरी नदी में छत्तीसगढ़ की सीमा से प्रारंभ की गई इस बांध में सतल से लगभग 45 से 50 फीट ऊंची एवं 100 से 200 फीट लम्बी तथा 10 से 12 फीट चौड़ी तीन दीवारें बनी हैं। तीनों दीवारों को जोड़ती लगभग 12 से 15 फीट ऊंची एक और दीवार भी बनी है। यह इलाका हिस्टॉरिकल प्लेस की तरह नजर आता है।





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झारालावा जल प्रपात - छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के झिरका के जंगल में खूबसूरत झारालावा जल प्रपात स्थित है। जानकार बताते हैं कि यह बस्तर पहला ऐसा जल प्रपात है जिसके पास जाने से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस काम करना बंद कर देता है। जिसकी मुख्य वजह यहां स्थित चट्टानों की चुम्बकीय शक्ति है। इस जल प्रपात तक पहुंचने के लिए कोई कोई सुगम रास्ता भी नहीं है। कुछ दूरी बाइक से फिर कई किमी तक पैदल चलना पड़ता है। बीच मे एक फो छोटे बरसाती नाले भी पड़ते हैं। यहां की खूबसूरती काबिल-ए-तारीफ है।





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मिचनार हिल टॉप - जगदलपुर से 40 तो वहीं चित्रकोट जल प्रपात से 25 किमी की दूरी पर मिचनार की खूबसूरत पहाड़ी स्थित है। हाल ही में इस जगह के बारे में लोगों पता चला था, हालांकि यह भी एक तरह की ट्रैकिंग प्लेस है। खड़ी पहाड़ में चढ़ कर टॉप में पहुंचा जाता है। जिसके बाद गहरी खाई और यहां का खूबसूरत नजारा देखने योग्य होता है।





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हांदावाड़ा जल प्रपात - दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले की सीमा पर अबूझमाड़ में खूबसूरत हांदावाड़ा जल प्रपात स्थित है। साल 2004 के बाद हांदावाड़ा जलप्रपात के बारे में लोगों को जानकारी लगी थी। यहां पहुंचने की राह आसान नहीं है। 4 पहिया तो छोड़िए 2 पहिया में जाना भी कठिन होता है। हालांकि इंद्रावती नदी के पाहुरनार घाट में अब पुल निर्माण का काम हो चुका है, इसलिए पर्यटकों की पहली चुनौती यहां खत्म हो गई है। हांदावाड़ा जल प्रपात तक पहुंचे पक्की सड़क भी नहीं है। बारिश के दिनों में यह जल प्रपात अपनी अलौकिक छटा बिखेरता है। बाहुबली मूवी की शूटिंग की अफवाह उड़ी थी इस लिए लोगों की यहां पहुंचने दिलचस्पी ज्यादा बढ़ी थी।





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