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ये कैसी एसीबी जांच? बस चल ही रही है; एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारी लिख रहे चिटि्ठयां, जवाब नहीं मिल रहा
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 1 अक्टूबर 2021,  12:52 PM IST

मौन हैं जिम्मेदार





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सवाल उठ रहा है कि आखिर इन पर इतनी मेहरबानी क्यों? जवाब सिर्फ यही मिल रहा। सारे मामलों की देखरेख रायपुर से हो रही, हमें कुछ नहीं पता। एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों ने हफ्तेभर में बिलासपुर में कार्यरत तीन अधिकारियों पर एक के बाद एक कर जुर्म दर्ज किया है। पहला नाम बिलासपुर में शिक्षा अधिकारी रहे आरएन हीराधर।





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दूसरा आदिवासी विकास विभाग के उपसंचालक सीएल जायसवाल। इसके अलावा एक और अन्य। इनके खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति के मामले की शिकायत हुई थी, जिसकी जांच के बाद ही जुर्म दर्ज करने की कार्रवाई हुई है। एफआईआर की जद में आने वाले अफसरों के पास करोड़ों के जमीन-मकान होने का खुलासा हुआ है।





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जानकार कह रहे- एसीबी के अधिकारी कोर्ट में चालान पेश नहीं कर लाभ दिला रहे आरोपियों को





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केस'. एएफओ का हो गया प्रमोशन





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एंटी करप्शन ब्यूरो ने 16 जून 2021 को अपर कलेक्टर को पत्राचार कर पूछा है कि आखिर खाद्य विभाग के एएफओ राजेश शर्मा के वेतन के संबंध में विभाग उन्हें जानकारी क्यों नहीं भेज रहा है? एसीबी ने उनकी नौकरी की प्रथम नियुक्ति से लेकर साल 2016 तक वे कहां-कहां रहे और उन्हें कितना वेतन, एरियर, जीपीएफ की राशि की जानकारी मांगी है। इस मामले में एसीबी की ओर से खेद प्रकट किया गया है।





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केस-2. रिटायर्ड हो गए आरआई





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बिलासपुर में राजस्व निरीक्षक (आरआई) ग्रामीण निर्गुण दास मानिकपुरी की एंटी करप्शन ब्यूरो से शिकायत हुई। शिकायतकर्ता ने इनकी अवैध संपत्ति का उल्लेख करते हुए जांच की मांग की। एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस प्रकरण में प्रभारी अधीक्षक भू-अभिलेख को पत्राचार किया। पूछा कि इनकी पहली नियुक्ति से अब तक सरकार ने इन्हें कितने पैसों का भुगतान किया है, इसकी जानकारी चाहिए।





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केस-3. जमीन वाले अफसर भी जद में





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एसीबी निरीक्षक ने पदुमलाल पाटनवार की जमीन की सूची भेजी है। बताया गया है कि रमतला, सरकंडा सहित अन्य जगह पर उनकी पत्नी, बेटी और खुद उनके नाम पर कई जगह जमीनें हैं। वे राजस्व विभाग से इसका खसरा बीवन चाह रहे। इस बात की पुष्टि भी क्या शिकायत में उल्लेखित जमीन उनके नाम पर है या नहीं? इस मामले में सालभर से जांच चल रही है।





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केस- 4. बीएमओ जवाब देने तैयार नहीं





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एंटी करप्शन ब्यूरो ने ब्लाक मेडिकल अधिकारी अनुजराम बंजारे के संबंध में जानकारी मांगी है। एसीबी को पता चला है कि उनके राजस्व रिकॉर्ड में उनके नाम पर यहां भी जमीनें हैं। इसलिए ही एसीबी ने ना सिर्फ अनुज बल्कि उनकी पत्नी मीना बंजारे, बेटे अशांक बंजारे और शशांक बंजारे के नाम पर किसी पटवारी हल्के में कितनी जमीन दिख रही। इसकी जानकारी मांगी है।





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90 दिन में चालान पेश करना जरूरी





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नियम: कानूनविद अधिवक्ता अजय अयाची के अनुसार भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपियों के खिलाफ 90 दिन के भीतर संबंधित अदालत में चालान पेश करना होता है। ऐसा नहीं करने से आरोपियों को फायदा मिलता है। कोर्ट से उसे जमानत मिल जाती है। इसलिए एसीबी को ऐसा करना जरूरी है।





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एक प्रकरण में उलझा हूं
अभी मैं एक गंभीर प्रकरण में उलझा हूं। जांच जारी है। मैं कॉलबैक करके इन मामलों की जानकारी उपलब्ध करवाता हूं।





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