बीएसपी व अमेरिकी कंपनियों से अनुबंध की तैयारी
इनमें से 49 विद्यार्थियों ने शुल्क जमा कर दिया है।
इन कोर्स के विद्यार्थियों के लिए प्लेसमेंट की भी व्यवस्था भी तकनीकी विवि कर रहा है। इसके लिए बीएसपी, दो अमेरिकी कंपनियों समेत 4 कंपनियों से अनुबंध करेगा। उनसे सैद्धांतिक स्तर पर चर्चा पूरी हो चुकी है। नवंबर में अनुबंध किया जाएगा। इसे लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधि मंडल बीएसपी व संबंधित अन्य कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिलेगा। साथ ही प्रक्रिया को किया जाएगा।
सेल्फ फाइनेंस में भी शुरू किए जा रहे नए कोर्स
कुलपति डॉ. एमके वर्मा ने बताया कि तकनीकी विवि देश की पहली यूनिवर्सिटी है जो शोध और पीजी कोर्सेस के साथ अब स्नातक स्तर पर ऑनर्स और डिप्लोमा स्तर के कोर्स सेल्फ फाइनेंस में कोर्स शुरू किया है। बीटेक में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डाटा एनालिसिस की 90-90 और डिप्लोमा में फायर सेफ्टी व इंडस्ट्रीयल सेफ्टी और माइनिंग इंजीनियरिंग की 60-60 सीटें तय की गई हैं। बीटेक की 50 फीसदी सीटों पर डीटीई की काउंसिलिंग से और जोसा के जरिए जेईई मेंस में 50 फीसदी में प्रवेश मिलेगा।
ऑनर्स में 12 से अधिक क्रेडिट नंबर दिए जाएंगे
उन्होंने बताया कि सामान्य बीटेक कोर्स की तुलना में विवि में संचालित बीटेक कोर्स में 12 क्रेडिट नंबर और मिलेंगे। इसमें विद्यार्थियों के जॉब बनाने की शैली और समय के आधार पर भी अंक दिए जाएंगे। इसके क्रेडिट नंबर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के एचआर डिपार्टमेंट से जुड़ा रहेगा। इसी आधार पर उनके प्लेसमेंट की व्यवस्था होगी। बीटेक कोर्स की कक्षाएं नवनिर्मित ब्लॉक' में नवंबर से त्योहार के बाद लगेगी। लैब में वर्चुअल सारी व्यवस्थाएं होंगी। इसके कंप्यूटर की कोडिंग क्षमता अधिक होगी।
100 छात्रों के प्लेसमेंट की संभावना जताई गई
दोनों बीटेक कोर्स की 180 सीटें हैं। इनमें से कम से कम सौ लोगों का प्लेसमेंट विदेशी कंपनियों होने की गारंटी है। उन्हें इसी के लिए तैयार किया जाएगा। जिस कंपनी को जैसे कर्मचारियों की जरूरत है, उसी आधार पर वह विद्यार्थियों को पहले प्रशिक्षण देगा। परीक्षा के बाद उसे अपनी कंपनी में जॉब भी देगा। इसके लिए अभी अमेरिका की न्यूक्लियस टेक इन कार्पोरेट और फाइंडर कंपनी से सैद्धांतिक स्तर पर बात हो चुकी है। एक और कंपनी से चर्चा की जा रही है। डिप्लोमा कोर्स में बीएसपी से भी अनुबंध किया जाएगा।
आयरन ओर की भी दी जाएगी पूरी जानकारी
माइनिंग इंजीनियरिंग के तहत विद्यार्थियों को आयरन, एल्युमिनियम, कॉपर, डोलामाइट समेत अन्य खदानों में काम करने और वहां के प्रबंधन का अनुभव रहेगा। उन्हें वह तकनीक सिखाई जाएगी, जिससे वह किसी भी अयस्क का अधिक से अधिक हिस्से की खुदाई कर सकें। आमतौर पर लोहे हो या फिर अन्य तत्व वाले खदानों में यदि अयस्क की मात्रा 52 फीसदी से कम होती है तो वह उसे छोड़ देते हैं। हमारे विद्यार्थी आयस्क के बारीक से बारीक टुकड़ों (फाइन्स) का भी सही तरीके से उपयोग कर सकेंगे।
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