• +91-9303050009
  • tonewsvalley24@gmail.com
छत्तीसगढ
अफसर के अनशन से किरकिरी
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 17 मई 2021,  12:44 PM IST

महिला एवं बाल विकास विभाग ने बनाई जांच समिति, पांच दिनों में मांगी रिपोर्ट

महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव रीना बाबा साहब कंगाले ने इस जांच समिति में विभाग की संयुक्त संचालक क्रिस्टीना लाल, संयुक्त संचालक वित्त भावेश कुमार दुबे, उप संचालक आरजे कुशवाहा और उप संचालक प्रियंका केश को शामिल किया है। इन पांचों लोगों को महासमुंद जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट में हुई अनियमितता के आरोपों की जांच करनी है। इस समिति को जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के लिए पांच दिनों का समय दिया गया है।





और भी पढ़े : मौसम फिर बदला

बताया जा रहा है कि महासमुंद में अफसर के अपने ही घर में अनशन पर बैठ जाने की जानकारी मिलने के बाद सरकार में हड़कंप मच गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कार्यालय भी सक्रिय हो गया। महासमुंद प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई। महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया ने भी अफसरों को तलब कर उन शिकायतों की जानकारी ली। उसके बाद विभाग ने जांच समिति के गठन का आदेश जारी किया।





और भी पढ़े : उचित मूल्य दुकान संचालन के लिए 25 अगस्त तक आवेदन आमंत्रित

किस गड़बड़ी की हैं , शिकायत





और भी पढ़े : 3 लाख रुपये में खरीदे कार

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत जोड़ों को कुछ सामान दिया जाता है। इसके लिए टेंडर होता है। आरोप है कि 2020 और 2021 में ब्रांडेड बताकर लोकल सामग्री बांट दी गई। इसका पता सत्यापन के दौरान चला था। इसी साल गुणवत्ता विहीन रेडी-टू-ईट वितरण का मामला पकड़ा गया। यह दोनों मिलाकर करीब 30 लाख रुपए की अनियमितता बताई जा रही है। आरोप महासमुंद के ही बाल विकास परियोजना अधिकारी विजय सरल पर हैं।





और भी पढ़े : दुर्ग रेंज के आईजी पाल ने

ऐसे बनी अफसर की बगावत की भूमिका





और भी पढ़े : सहायक शिक्षक पंचायत श्रीमती सुपर्णा पाठक को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के दिए गए निर्देश

महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले का कहना है, 23 अप्रैल 2020 को कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। फिर इसी साल 5 मई और 10 मई को भी कलेक्टर को पत्र लिखा, पर कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई नहीं हुई तो अफसर ने बगावत कर दी। उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर बाकायदा अनशन की अनुमति मांगी। लॉकडाउन का हवाला देकर कलेक्टर ने ऐसी अनुमति देने से इनकार कर दिया। नाराज अफसर ने अपने घर में ही बैनर लगाकर अनशन शुरू कर दिया। बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।





और भी पढ़े : लाइफलाइन एक्सप्रेस:

विपक्ष को मिला हमले का मौका





और भी पढ़े : देवीपुर - पम्पापुर के सडक की हालत खराब

अफसर के अपने ही विभाग के खिलाफ अनशन पर बैठने की सूचना मिलते ही राजनीतिक दल खासकर विपक्ष भी सक्रिय हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर मामले की जांच रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने की मांग कर दी। रमन सिंह ने लिखा कि यह केवल एक जिले अथवा विभाग का मामला नहीं है, पूरे प्रदेश में गंभीर वित्तीय अनियमितता तथा भ्रष्टाचार-लूटपाट की छूट मिल गई है। रमन सिंह ने कहा, राज्य गठन के बाद किसी जिला स्तरीय अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार और कदाचरण के मुद्दे पर अनशन पर बैठने की यह पहली घटना है





और भी पढ़े : कलेक्टर और एसपी ने कांटाबेल चाय बागान निरीक्षण किया

Add Comment


Add Comment

Get Newspresso, our morning newsletter
Side link