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बिलासपुर
केंद्र ने उसना चावल नहीं लिया
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 8 नवम्बर 2021,  03:56 PM IST

तो करोड़ों का अनाज होगा खराब

वहीं उसना मिलर तैयार हो जाते हैं क्योंकि उन्हें नुकसान नहीं होता। यदि उसना चावल नहीं लिया गया तो मोटा धान का उठाव कमजोर रहेगा। बड़ी मात्रा में धान बचेगा और वह फिर संग्रहण केंद्रों में सड़ेगा। केंद्र सरकार के तहत संचालित एफसीआई ने इस बार उसना चावल लेने से मना कर दिया है। इसकी वजह से उसना राइस मिल के संचालक परेशान हो गए हैं। यही वजह है कि एक दिन पहले उन्होंने सांसद अरुण साव और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक से मुलाकात कर केंद्र सरकार से उसना चावल लेने के लिए अनुशंसा कराने की मांग की। दोनों नेताओं ने राइस मिलर्स को केंद्रीय खाद्य मंत्री से बात करने का आश्वासन दिया है।





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भास्कर ने उसना चावल को लेकर पड़ताल की। प्रदेश में 1900 राइस मिल हैं और उसमें से 450 उसना मिलें हैं। यानी 25 फीसदी राइस मिल उसना चावल का उत्पादन करती है। उनकी क्षमता राइस मिलों की कुल क्षमता का 40 फीसदी है। छत्तीसगढ़ में 40 फीसदी ऐसे धान की खेती होती है, जिससे उसना चावल ही बन सकता है। अरवा मिलिंग करने पर चावल में ब्रोकन ज्यादा आता है। 2021-22 के लिए केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को 61 लाख मिट्रिक टन चावल उपार्जन का लक्ष्य दिया है जो कि अरवा चावल का है। इसमें एक भी उसना चावल नहीं है। पिछले साल केंद्र सरकार ने 24 लाख मिट्रिक टन चावल प्रदेश से लिया था जिसमें 16 लाख मिट्रिक टन उसना तो 8 लाख मिट्रिक टन अरवा था। अभी तो जब उसना लिया जा रहा है, तब करोड़ों का धान संग्रहण केंद्रों में खराब हो रहा है। इधर इस मामले में प्रभारी खाद्य नियंत्रक राजेश शर्मा का कहना है कि राज्य शासन द्वारा जैसा आदेश दिया जाएगा, उसका पालन करेंगे।





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मिलर्स बोले-मोटा धान का अरवा चावल बनाने से नुकसान
दि फेडरेशन ऑफ राइस मिलर्स के अध्यक्ष भोलाराम मित्तल ने बताया कि प्रदेश में उपार्जित होने वाले धान में महामाया एवं मोटा किस्म का धान करीब 40 फीसदी होता है। इस धान से अरवा चावल बनाने में ब्रोकन ज्यादा आता है और मिलर्स को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे धान का उसना बनाना ही उचित होता है क्योंकि ब्रोकन कम आता है। केंद्र सरकार उसना चावल लेती रही है इसलिए निराकरण आसानी से हो जाता है। छत्तीसगढ़ में उसना चावल की खपत न के बराबर है।





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