अफसर बोले- 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका
सौंदर्यीकरण के नाम पर अब तक हुए कामों में केवल कुछ दीवारें हैं, वह भी जर्जर होने लगी हैं। वहीं जो कलाकृतियां बनाई गई थी, वह भी टूटती जा रही हैं। इसके अलावा लोगों की बैठक के लिए मौके पर लाई गई, सीमेंट की कुर्सियां भी तितर-बितर पड़ी है। जबकि नगर निगम अब तक सौंदर्यीकरण के नाम पर 15 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। ठेकेदार को इतनी राशि का भुगतान किया जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी काम अधूरा है। ऐसे में साफ तौर पर सौंदर्यीकरण के नाम पर हुई मनमानी खुलकर सामने आ गई है। इसे लेकर लोगों में भी नाराजगी बढ़ रही है। क्योंकि सौंदर्यीकरण के नाम पर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है।
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सौंदर्यीकरण के नाम पर बनी दीवारें भी जर्जर हो रही
बूढ़ा सागर को आकर्षक बनाने के दावे के साथ इसके इर्दगिर्द दीवार तैयार की गई है। इन दीवारों को पेंटिग्स से सजाया गया था, लेकिन प्रोजेक्ट पूरा होने के पहले ही इसके गुणवत्ता की पोल खुलने लगी है। एक हिस्से में बनी ऐसी दीवारें जर्जर हो रही है, कुछ गिरने भी लगी है। वहीं कुछ दीवारों पर बनी पेंटिग्स बारिश में धुल गई है। इससे स्पष्ट है कि इसके निर्माण में किस कदर गुणवत्ता की अनदेखी की गई है। प्रोजेक्ट पूरा होने के पहले ही सूरत बिगड़ने लगी है।
नेताप्रतिपक्ष बोले - राशि कहां खर्च की, करेंगे जांच
बूढ़ा सागर के सौंदर्यीकरण में जमकर मनमानी और भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा है। नेता प्रतिपक्ष किसुन यदु ने कहा कि 90 फीसदी काम पूरा होने का दावा किया जा रहा है। लेकिन मौके पर ऐसा कुछ भी मौजूद नहीं है। ऐसे में निगम ने किस कार्य में राशि खर्च की इसकी जांच की जाएगी। बूढ़ासागर प्रोजेक्ट के जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। इसमें नेता प्रतिपक्ष सहित कुछ पार्षद शामिल हैं। यदु ने कहा कि अब तक उन्हें इसकी फाइल भी नहीं मिली है।
जांच में सामने आएगी अफसरों की मनमानी
बूढ़ा सागर के सौंदर्यीकरण का काम भाजपा के कार्यकाल में शुरु हुआ था। तब महापौर मधुसूदन यादव थे। इसके बाद सत्ता बदली और कांग्रेस का कब्जा निगम में हुआ। कुछ समय बाद सत्ता पक्ष ने भी बूढ़ा सागर में सौंदर्यीकरण के नाम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, निगम के सदन में विपक्ष ने भी यही बात उठाई। इसके बाद जांच के लिए एक कमेटी भी बनाई गई है। लेकिन उक्त कमेटी ने अब तक जांच शुरू नहीं की है। इसे जल्द शुरू किया जाए।
ट्रीटमेंट प्लांट का काम भी अधूरा, गति भी सुस्त
बूढ़ा सागर में प्रवेश करने वाले गंदे पानी को रोकने मौके पर ही ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाया जा रहा है। इसके लिए भी 2 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके इसका काम भी अब तक केवल प्राथमिक चरण में ही है। महीनों बीत जाने के बाद भी काम अधूरा पड़ा हुआ है। सुस्त गति की वजह से काम समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है। फिलहाल प्लिंथ लेवल का ही काम जारी है। ऐसे में इस प्लांट का काम पूरा होने में भी लंबा समय लग सकता है।
प्रोजेक्ट के मुताबिक काम पूरा होने का दावा
निगम के के कार्यपालन अभियंता यूके रामटेके ने बताया कि सौंदर्यीकरण का काम 90 फीसदी पूरा हो चुका है। ठेकेदार को 15 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है। उन्होंने दावा किया है कि सौंदर्यीकरण का काम बेहतर ढंग से चल रहा है। हालांकि निर्धारित समय पर काम पूरा नहीं हो सका है। शेष काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने प्रोजेक्ट के मुताबिक काम पूरा होने का दावा किया है।
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