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CG में सरकारी कंपनी अपने कर्मचारी की 2 साल की बेटी के इलाज पर करेगी खर्च
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 21 नवम्बर 2021,  01:20 PM IST

अमेरिका से आएगा इंजेक्शन

 





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कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड के दीपका कोयला क्षेत्र में सतीश कुमार रवि एक ओवरमैन के तौर पर काम करते हैं। उनकी बेटी सृष्टि रानी स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी नाम की एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं। धीरे-धीरे यह बीमारी बढ़ती है और जानलेवा हो जाती है। अपने जन्म के 6 महीने के भीतर ही सृष्टि काफी बीमार रहने लगी। इस बीच कोविड महामारी की वजह से उसके माता-पिता उसे बेहतर इलाज के लिए बाहर नहीं ले जा सके और स्थानीय स्तर पर उसका इलाज चलता रहा।





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पिछले साल दिसंबर में पता चली बीमारी





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हालत में सुधार न होता देख सतीश दिसंबर 2020 में बच्ची को लेकर क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर गए। यहां उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला। डॉक्टरों ने इलाज के लिए जोलजेंस्मा इंजेक्शन की जरूरत बताई। 30 दिसंबर को जब सतीश सृष्टि को वेल्लोर से लेकर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला स्थित दीपका में अपने आवास लौट रहे थे। रास्ते में ही सृष्टि की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। उसे SECL से इंपैनल्ड अपोलो अस्पताल बिलासपुर में भर्ती कराना पड़ा। वहां काफी समय इलाज चलने के बाद सतीश ने एम्स दिल्ली में सृष्टि का इलाज कराया। फिलहाल बच्ची का इलाज घर पर ही चल रहा है, जहां वह पोर्टेबल वेंटिलेटर पर है।





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इंजेक्शन की कीमत इतनी कि छूट गई थी उम्मीद
डॉक्टरों ने बताया था कि इस दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए एक अमेरिकी इंजेक्शन मौजूद है। इसको किसी भारतीय नियामक ने अनुमोदित नहीं किया है, लेकिन अमेरिका के नियामक ने इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी है। इसकी कीमत करीब 2 मिलियन डॉलर यानी करीब 16 करोड़ रुपए होगी। यह कीमत इतनी अधिक थी कि सतीश और उनकी पत्नी को कुछ सूझ ही नहीं रहा था।





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फिर आगे आई कंपनी और बन गई बात
SECL के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. सनीश चंद्र ने बताया, कंपनी प्रबंधन ने सतीश की समस्या का पता लगने पर मदद करने का फैसला किया। इसके लिए कोल इंडिया के अनुमोदन की जरूरत थी। पिछले दिनों कोल इंडिया के चेयरमेन ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए। डॉ. चंद्रा का कहना है, कंपनी ने न सिर्फ अपने परिवार की बेटी की जान बचाने के लिए यह बड़ी पहल की है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों और दूसरे संस्थानों के लिए भी एक मिसाल पेश की है।





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