• +91-9303050009
  • tonewsvalley24@gmail.com
40 करोड़ खर्च, फिर भी खतरे में ग्रामीण व हाथी
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 23 नवम्बर 2021,  02:30 PM IST

साेमवार सुबह 6 हाथी मिले बेहोश, इलाज में विभाग तो ग्रामीण नुकसान से परेशान

जानिए...सरकारी योजनाओं पर कहां कितनी राशि खर्च और उससे होने वाले परिणाम
1. हाथियों को प्रशिक्षित करने के नाम पर 6 करोड़ खर्च

उत्पाती हाथियों को काबू में करने के लिए पिंगला नदी के किनारे चार करोड़ खर्च कर रेस्क्यू सेंटर बनाया गया, जबकि तीन साल में हाथियों के रखरखाव व भोजन पर दाे करीब दो करोड़ से ज्यादा खर्च हुए, लेकिन नुकसान से बचने कुमकी हाथियों का उपयोग ही नहीं किया गया। डॉक्टर नहीं होने के कारण संक्रमण फैलने से हाल में हाथियों के दो बच्चों की जान तक चली गई।





और भी पढ़े : राशन कार्ड धारकों के लिए खुश-खबरी

2. सोलर फेंसिंग पर 5 करोड़ खर्च और परिणाम शून्य
हाथियों के गांव में घुसने से रोकने के लिए प्रतापपुर, उदयपुर, प्रेमनगर जैसे इलाके की सीमा पर सोलर पावर फेसिंग कराई गई थी, लेकिन तार और खंभे तक नहीं बचे। पांच करोड़ रुपए से अधिक राशि इस पर खर्च हुए। पुणे के अलावा बाहर की दो कंपनियों को इसका ठेका मिला। इसके बाद बैटरी चलित सोलर फेंसिंग कराई गई, जिसे हाथियों ने तोड़ दिया।





और भी पढ़े : कलेक्टर ने मोतीपुर के गौठान का किया निरीक्षण

3. मधुमक्खी, हारमोनियम और मंजीरा पर 15 लाख
मैनपाट जैसे इलाके में हाथी संकट केंद्र बनाए गए, ताकि हाथियों के आने पर ग्रामीणों को अलर्ट कर सुरक्षित किया जा सके। संकट केंद्र में हाई वीम लाइट से लेकर टाॅर्च, लोगों के मनोरंजन के लिए ढाेलक, झाल, मंजीरे पर लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन वर्तमान में इनमें से कुछ नहीं है। कई क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन किया, लेकिन यह भी मधुमक्खियां उड़ गई।





और भी पढ़े : छात्रा से अश्लील हरकत करने वाले को कोर्ट ने सुनाई

4. हाथियों को खदेड़ने बांटे 15 लाख रुपए के टॉर्च
वन विभाग हाथी प्रभावित क्षेत्रों में 15 लाख रुपए खर्च कर टॉर्च बांटे थे। कई गांवों में टाॅर्च ठीक कराने के नाम पर विभाग ने वापस मंगवा लिए, लेकिन इसके बाद ग्रामीणों को कभी वापस नहीं लौटाया। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं। एक टाॅर्च की कीमत आठ सौ रुपए बताई जाती है।





और भी पढ़े : कोरोना की दवा के नाम पर चूने की गोली खिलाई

5. 10 साल में 50 से ज्यादा हाथियों की मौत
हाथियों के प्राकृत आवास के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक डाले, लेकिन इसके बाद भी वे भोजन के लिए ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहे हैं। विभाग की फाइल बता रही है कि ज्यादातर हाथियों की मौत बिजली के तार की चपेट में आने से करंट या फिर संक्रमण व जहर से हुई। 13 हाथियों की करंट से मौत हुई तो कुछ की जहर से हुई। बीते 10 सालों में 50 से ज्यादा हाथियों की मौत हो चुकी है।





और भी पढ़े : अवैध महुआ शराब के विरुद्ध की गई कार्रवाई

6. अलग-अलग झुंड में घूम रहे 140 हाथी
सरगुजा सहित सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया व जशपुर जिले के अलावा तैमोर पिंगला अभयारण्य में अलग-अलग झुंड में 140 हाथी अभी विचरण कर रहे हैं। जंगल में पर्याप्त भोजन नहीं होने के कारण हाथी इसकी तलाश में ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहे हैं, जहां आए दिन जन-धन का नुकसान ग्रामीणों को हो रहा है।





और भी पढ़े : बूथ की टीम में महिलाओं की भी होगी भागीदारी

7. हर साल बांट रहे 10 से 15 करोड़ रुपए का मुआवजा
हाथी गांव व बस्तियों में घुसकर फसल रौंद रहे हैं, ग्रामीणों के मकान तोड़ रहे हैं। उनके आड़े आने वाले ग्रामीण व मवेशियों की जान तक ले रहे हैं। इनकी भरपाई के लिए सरकार सालाना 10 से 15 करोड़ रुपए तक का मुआवजा प्रभावित क्षेत्रों में बांट रही है। जिले के हाथी प्रभावित क्षेत्रों में 5 साल में 100 से अधिक लोगों की जान ले चुके हैं। इसके बाद भी विभाग की तैयारी हकीकत में शून्य है।





और भी पढ़े : ट्रेडमार्क और कॉपीराइट को लेकर छापेमारी

4 स्वस्थ, 2 हाथी अब भी बेहोश





और भी पढ़े : कलेक्टर डाॅ. गौरव कुमार सिंह ने किया जनपद पंचायत भैयाथान का निरीक्षण

हाथियों को देखने ग्रामीणों की लगी रही भीड़, दहशत
क्षेत्र में हाथियों के बेहोश होने की भनक लगते ही मौके पर ग्रामीणों का हुजूम इकट्‌ठा हो गया। सुबह से ही हाथियों को देखने ग्रामीण मौके पर मौजूद रहे। हालांकि क्षेत्र में पहली बार हाथियों के पहुंचने के बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है। मौके पर मौजूद वन अधिकारी ग्रामीणों को लगातार हाथियों से दूर रहने की सलाह देते रहे। वहीं देर रात पहुंचा हाथियों के दल ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। बेहोश हाथियों को देख हाथी और आक्रामक होकर नुकसान कर रहे हैं। प्रभावित ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर रखा है।





और भी पढ़े : राजधानी सरोकार

तीन हाथियों को दवाइयां दी हैं, निगरानी कर रहे
वेटनरी डाॅ महेंद्र पांडे ने बताया कि अभी भी दो हाथी जमीन से नहीं उठ सके हैं। आज हाथियों की बेहोशी की जानकारी पर पहुंचे, इसके बाद तीन हाथियों को दवाइयां दी गईं। हाथियों में हाइड्रो साइनिक एसिड का प्रभाव है, जो कोदो या महुआ शराब बनाने के बाद गले महुआ (गोरा) से मिलता है। इस एसिड का प्रभाव मस्तिष्क तक खून के माध्यम से चला जाता है और मसल्स रिलेक्स हो जाते हैं। तीन हाथियों को डेक्सोना, एंट्रोपिन सल्फेट, डीएमएस नामक दवाइयों की डोज दी है। इसमें दो को होश नहीं आया है। निगरानी रखे हैं। सुबह फिर से जाकर उन हाथियों को देखेंगे।





और भी पढ़े : बुजुर्ग कपल की हत्या

फूड पाॅयजनिंग से बेहोश हुए हाथी: डीएफओ
डीएफओ बीएस भगत ने बताया टूटे हुए घरों की जांच में सिर्फ अनाज ही मिला है। वहां कीटनाशक नहीं था। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कोदो या जंगली फल खाने से हाथियों को फूड पाॅयजनिंग हुई होगी, जिससे वह बेहोश हुए होंगे। दो हाथियों का इलाज किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि देर रात तक सभी हाथी स्वस्थ हो जाएंगे।





और भी पढ़े : दामाद हिरासत में

Add Comment


Add Comment

Get Newspresso, our morning newsletter
Side link