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निगम का खजाना खाली
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 15 जनवरी 2022,  11:18 AM IST

भिलाई निगम बीएसपी से न टैक्स वसूल पा रहा, न ही पानी का 2 करोड़, बिजली का 12 करोड़ चुका पा रहा

राजस्व विभाग सबसे बड़ी आय का स्रोत संपत्तिकर है। लेकिन पिछले कई सालों ने निगम अपने टार्गेट तक भी वसूली नहीं कर पा रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में कर वसूली 80 फीसदी हुई। इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही गुजरने तक मात्र 60 फीसदी वसूली कर सके हैं। जबकि इस बार टारगेट पिछले वित्तीय वर्ष में 29 करोड़ से 6 करोड़ अधिक 35 करोड़ तय किया गया।





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लोक कर्म विभाग नगर निगम क्षेत्र के 70 वार्डों की अंदरुनी सड़कें और नालियां मेंटेनेंस नहीं होने की वजह जर्जर हो चुकी हैं। जानकारों के मुताबिक, प्रत्येक गली-मोहल्ले की गली और सड़कों की मरम्मत में ही कम से कम 200 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी। सौंदर्यीकरण से लेकर निर्माण के जो भी कार्यों को अंजाम दिया। अब तक इसका भुगतान नहीं हो पाया है।





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जल-कार्य विभाग
भिलाई निगम में अमृत मिशन के तहत 242 करोड़ की योजना पर काम चल रहा है। इसमें 66 एमएलडी प्लांट की स्थापना समेत नई पानी की टंकियों का निर्माण हो चुका है। लेकिन बूस्टर लाइनों की कनेक्टिविटी और खुर्सीपार, खम्हरिया, कुरुद समेत कई क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाना बाकी है। इसी योजना के तहत 93347 परिवारों तक नल कनेक्शन दिया जाना है।





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पर्यावरण एवं उद्यानिकी विभाग
शहरभर में 72 बड़े उद्यान हैं। लेकिन पिछले दो सालों से इनका रखरखाव नहीं किया जा रहा है। इसके चलते उजड़ते जा रहे हैं। हालांकि इस बीच आनन-फानन में कई प्रमुख उद्यानों और तालाबों के सौंदर्यीकरण के काम तो शुरू किया, जिसमें सुपेला शीतला तालाब प्रमुख है। लेकिन बजट की उपलब्धता नहीं होने की वजह से काम अटका है।





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लोक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विभाग
शहर सरकार का एक बड़ा बजट निकाय क्षेत्र की साफ-सफाई पर होता है। इसके चलते पिछले पांच से छह सालों में 16 करोड़ से लगातार बढ़कर खर्चा 54 करोड़ तक पहुंच गया है, जिसमें केवल साफ-सफाई के लिए पिछले वर्ष 23 करोड़ रुपए में उठाया गया। जबकि पिछले तीन सालों से शहर में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।





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वित्तीय अप्रबंध का खामियाजा भुगत रहे





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इससे पहले तक वित्तीय मामले में भिलाई निगम की प्रदेश में बहुत अच्छी स्थिति थी। पिछले लगभग एक साल से ही सबकुछ गड़बड़ाया है। निगम के जानकारों और कर्मचारी नेताओं का साफ कहना है कि कोरोना व अन्य परिस्थितियों से ज्यादा अधिकारियों का वित्तीय अप्रबंध इसके लिए जिम्मेदार है। अधिकारियों ने अपनों को खुश करने निगम का खजाना ही खाली कर दिया। इसके अलावा राज्य शासन से पैसा नहीं आने के बावजूद ठेकेदारों से काम करवाकर नगर निगम मद से भुगतान कर दिया।





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बीएसपी से टैक्स वसूली का मामला अटका हुआ
निगम की माली हालात खराब हो चुकी है। बिजली का बिल का बकाया 58 करोड़ रुपए, जलकर का किराया 2 करोड़, शहर की अंदरुनी सड़कों की जर्जर हो चुकी है। होर्डिंग विज्ञापन से होने वाली 5 से 6 करोड़ की आय लगभग शून्य हो चुकी है। बीएसपी से टैक्स वसूली का मामला 2 साल से अधर में है। यह मामला की अव्यवहारिक मांग की वजह से अटक गया। - वशिष्ठ नारायण मिश्रा, पार्षद





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आय बढ़ाने की दिशा में होगा काम, सुधार शुरू
अभी शहर का सरकार का गठन ही हुआ है। निगम की आय बढ़ाने वाले प्रत्येक स्रोत पर काम किया जाएगा, जो भी कमियां होंगी, उसे सुधारा जाएगा। इसके अलावा बिजली बिल, जल किराया समेत तमाम ऐसे खर्चे हैं। उनका भुगतान फिलहाल कोरोना की वजह आइसोलेट हूं। नियमित होने पर सभी विषयों को एमआईसी में रखा जाएगा। स्थिति में जल्द सुधार देखने को मिलेगा। 





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