बड़ा खुलासा; पानी को डायवर्ट करने लगाई मशीनें, कलेक्टर ने रेत उत्खनन पर लगाई रोक, जांच के आदेश
खनिज विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार राजनांदगांव जिले के ग्राम बांकल में लीज का पट्टा शासन द्वारा स्वीकृत किया गया है। जीवनदायिनी शिवनाथ नदी में पानी का भराव होने के बाद भी रेत निकासी की जा रही है। नदी के बीचों-बीच एल आकार का रैम्प बनाकर नदी के बहाव को रोक दिया गया है। पानी को डायवर्ट करने के लिए यहां पर हैवी मशीनें लगाई गई हैं। एक तरह से नदी के बीच में संपवेल बनाकर पाइपलाइन से पानी के भीतर से रेत खींचकर एक जगह डंप कर रहे हैं। जल संसाधन विभाग के ईई जीडी रामटेके का कहना है कि नदी का बहाव रोकने के लिए रैम्प बनाने परमिशन ही नहीं है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
किनारे को खोद दिया
रेत निकासी करने वालों ने हैवी वाहनों की आवाजाही के लिए नदी किनारे की खुदाई करा दी है। खुदाई के बीच निकली मिट्टी को सड़क पर डाल दिया है। वहीं यहीं से रेत का रैम्प बनाते हुए आगे बढ़े हैं। पानी रोकने और रेत छानने के लिए जाली भी लगाई गई है। नदी के बीच हिस्से से रेत निकालने के लिए डीजल पंप लगाया गया है। इस मशीन के माध्यम से पानी के भीतर रेत निकाल रहे हैं।
बहाव नहीं रोक सकते: ईई
जल संसाधन विभाग के ईई जीडी रामटेके का कहना है कि लीज और रेत निकासी का मामला खनिज से जुड़ा है पर पानी के बहाव से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। यदि ऐसा हो रहा है तो वह गलत है। विभाग की ओर से नदी में कोई भी मशीन लगाने और नदी की दिशा डायवर्ट करने कोई परमिशन नहीं दिया गया है। ईई ने कहा कि इसकी मौके पर जाकर जांच कराने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
भराव; निकासी प्रतिबंधित
शिकायत तो यह भी है कि औद्योगिक परमिशन दी गई है पर रेत बाजार में बेचा जा रहा है। शिवनाथ नदी से रेत की निकासी करने के बाद इसे औद्योगिक उपयोग में लाना है। इसे बाजार में बेचने की अनुमति नहीं है। वहीं जल भराव के बीच नदी से रेत निकालना भी प्रतिबंधित है। खबर है कि रेत तस्कर यहां लाखों रुपए की रेत की निकासी कर बाजार में मनमानी दर पर बेच रहे हैं।
खदान बंद करा दिया
इधर अवैध उत्खनन को लेकर ग्रामीणों के रोष को देखते हुए अब कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा हरकत में आ गए हैं। उन्होंने रेत की निकासी पर रोक लगा दी है। कलेक्टर ने बताया कि जानकारी मिली है कि औद्योगिक उपयोग के लिए लीज दी गई है पर बाजार में रेत बेच रहे हैं। कलेक्टर ने कहा कि क्षेत्र में पंचायत चुनाव है। इसके बाद यहां मौके की जांच कराई जाएगी।
संचालक ने कहा- बांकल में वैध तरीके से किया जा रहा रेत खदान का संचालन
इधर मेसर्स बांकल रनर मोल्डिंग सेंड माइन की प्रोपाइटर अर्चना दुष्यंत दास ने कहा है कि उनके पास खदान संचालन को लेकर पर्यावरण एनओसी सहित सारे वैध दस्तावेज उपलब्ध हैं। बांकल में रेत खदान के संचालन के लिए उन्हें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 से आगामी 2034 तक लीज की स्वीकृति प्राप्त है। जो अब 20 साल बढ़कर 2054 तक हो गई है। अनुमति के तहत बांकल में खसरा नंबर 406, कुल लीज क्षेत्र 4.85 हेक्टेयर में मोल्डिंग सेंड उत्खनन का कार्य किया जा रहा है। इस बारे में ग्राम पंचायत पनेका (बांकल) से विधिवत अनुमति ली गई है। लीज डीड अर्चना दास के नाम पर है। स्थल से मोहारा एनीकट तथा शिवनाथ ब्रिज लगभग दो किमी दूर खदान से डाउन स्ट्रीम में है। फलस्वरूप लगभग पांच-छह माह जल भरा रहता है। साथ ही जब कभी एनीकट में जल छोड़ा जाता है, तब स्थल में पानी भर जाता है। स्थल के सूखने पर ही उत्खनन किया जाता है। दास ने कहा कि संचालन के लिए सभी वैध दस्तावेज हैं, उसके बावजूद उन्हें बेवजह बदनाम किया जा रहा है।
एक्सपर्ट व्यू: पर्यावरण को होता है नुकसान
जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ.ओंकार लाल श्रीवास्तव का कहना है कि सरकार की ओर से जिस जगह पर रेत खनन के लिए परमिशन दिया जाता है, वहां पर पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए सर्वे होता है। वहीं जहां पर पर्यावरण को क्षति पहंुचती है, वहां अनुमति नहीं देते हैं। रिसर्च के अनुसार जिस जगह पर रेत की निकासी ज्यादा होती है, वहां के आसपास का वॉटर लेवल डाउन होता है। वहीं सिंचाई के लिए पानी की समस्या भी होती है। वहीं अधिक रेत निकासी के चक्कर में जलीय जीवों का जीवन चक्र प्रभावित होता है।
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