उत्पीड़न के मामले में दुर्ग प्रदेश में दूसरे नंबर पर, जिन पांच थानों में ज्यादा केस वहां महिला विवेचक ही नहीं
महिला संबंधी अपराधों के निराकरण के लिए दुर्ग जिले में 4 फास्ट ट्रैक कोर्ट हैं। कोर्ट के भी आंकडे बताते हैं कि वर्ष 2021 में थानों से पॉक्सो एक्ट संबंधित 161 नए मामले कोर्ट तक पहुंचे। कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े सबसे ज्यादा 325 प्रकरणों में निराकरण किया है।
कोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक 1 जनवरी 2022 की स्थिति में कोर्ट में 1125 प्रकरण पेंडिंग हैं। इनमें 538 प्रकरण समस्त सत्र न्यायालय और एफटीसी अपर सत्र न्यायालय में महिला सबंधी अपराध से जुड़े हुए हैं। पॉक्सो एक्ट के 382 और जुवेनाइल कोर्ट से जुड़े 37 प्रकरण लंबित है। लंबित प्रकरणों की तुलना में वर्ष 2021 में कुल 561 नए प्रकरण कोर्ट में प्रस्तुत किए गए। समस्त सत्र न्यायालयों में 94 प्रकरण और एफटीसी अपर सत्र में 91 प्रकरणों का निराकरण किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 60 दिन में चालान का
सीनियर एडवोकेट राजकुमार तिवारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइन के मुताबिक महिला एवं नाबालिग संबंधी मामलों में अब 60 दिन में कोर्ट में चालान पेश करना अनिवार्य है। जबकि पहले पुलिस के पास 90 दिन का समय रहता था। जबकि बाकी मामलों में आरोपी की गिरफ्तारी से लेकर 90 दिन का समय रहता है। जिन मामलों में आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाती है, सिर्फ उन्हीं मामलों में पुलिस कोर्ट में चालान पेश करने में समय लेती है। महिला और नाबालिग संबंधी अपराधों में पुलिस पर कार्रवाई भी हुई है।
पांच थानें ऐसे जहां ज्यादा केस, महिला विवेचक ही नहीं
थाने में महिला डेस्क और रक्षा टीम मौजूदगी
महिला संबंधी अपराधों से जुड़े मामलों के सुलझाने के लिए थानों में महिला डेस्क बनाया गया है। इसके साथ महिला और बाल अपराध संबंधी अपराधों की जागरुकता के लिए रक्षा टीम का भी गठन किया गया है। इसके साथ महिला एवं बाल अपराध की मॉनिटरिंग के लिए आईसीयूडब्लूए बनाया गया है। महिला थाने में घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के मामलों में समझौते के लिए काउंसलर्स भी नियुक्त किए गए हैं। लॉकडाउन के बाद ज्यादातर स्कूल-कॉलेज बंद हो गए है। रक्षा टीम की गतिविधियां भी रुक गई हैं।
नियमित रूप से जांच और बैठकों में होती है समीक्षा
महिला और नाबालिग से संबंधित अपराधों को लेकर शासन के निर्देश पर नियमित रूप से समीक्षा और जांच की जाती है। इसके अलावा जिला विधिक प्राधिकरण द्वारा भी ऐसे मामलों पर नजर रखी जाती है। ताकि समय रहते महिलाओं को न्याय मिल सके। बावजूद इसके पुलिस महकमें महिला पुलिस कर्मियों की कमी की वजह से शासन के आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं हो पाता। इस वजह से मामले लंबित हैं।
पेंडिंग मामलों की समीक्षा और लापरवाही पर कार्रवाई
जिले से सभी थानों में सिर्फ वो ही महिला संबंधी अपराध पेंडिंग हैं, जिनमें अपराधी दूसरे राज्यों के हैं। उन्हें लॉकडाउन और कोविड के कारण नहीं लाया जा सका है। महिला संबंधी अपराध में लापरवाही सामने आने पर सीधे तौर पर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होती है।
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