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विश्व सामाजिक न्याय दिवस- सामाजिक न्याय का मतलब समाज के सभी वर्गों का विकास तथा विकास के संसाधन उपलब्ध कराना
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 21 फरवरी 2022,  10:27 AM IST

सर्वप्रथम हमें संविधान की प्रस्तावना में ही सामाजिक न्याय के तत्व दिख जाते हैं, संविधान की प्रस्तावना में नागरिकों के लिये राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक न्याय के साथ स्वतंत्रता के सभी रूप शामिल हैं। प्रस्तावना नागरिकों को आपसी भाईचारा व बंधुत्व के माध्यम से व्यक्ति के सम्मान तथा देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने का संदेश देती है। बंधुत्व का उद्देश्य सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद,जातिवाद तथा भाषावाद जैसी बाधाओं को दूर करना है । भारत के सविधान को बनाते समय देश में सामाजिक न्याय का खासा ध्यान रखा गया था ।  संविधान में कई ऐसा प्रावधान मौजूद हैं, जो कि सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं । सामाजिक न्याय के लिए लैंगिक समानता, सामाजिक सुरक्षा तथा प्रवासियों के अधिकारों की सुरक्षा की जानी आवश्यक है। सामाजिक न्याय तभी सुनिश्चित हो सकता है जब लोगों को लिंगए आयु, नस्ल, धर्म अथवा संस्कृति के कारण समस्याओं का सामना न करना पड़े।





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आज भी आम आदमी अपनी कई मूल जरुरतों के लिए न्याय प्रकिया को नहीं जानता जिसके आभाव में कई बार उसके मानवाधिकारों का हनन होता है और उसे अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है । आज भारत में गरीबी, महंगाई और आर्थिक असमानता हद से ज्यादा है,भेदभाव भी अपनी सीमा के चरम पर है,ऐसे में सामाजिक न्याय बेहद विचारणीय विषय है ।





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