वन मंत्री का दावा-6 मांगों को पूरा कर रही सरकार; किसान बोले-केवल तीन मांगें मानी वह भी आधी-अधूरी
नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने कहा, छह मांगें मान ली गई हैं का दावा केवल सरकार की जुमलेबाजी है। हमने आठ मांगें की थीं, इसमें से 3 को इन्होंने माना है वह भी आधा अधूरा। यह वही मांगें हैं जो सशक्त समिति की 2012 में हुई 12वीं बैठक में तय हो चुका था। उसका समग्र परिपालन न तो पिछली भाजपा सरकार ने किया और न ही मौजूदा कांग्रेस सरकार कर रही है। उन्हीं पूर्व निर्णयों को नई शर्तें लादकर आधा-अधूरा आदेश जारी हुआ है। यह लोगों को भ्रमित करने की कोशिश मात्र है। चंद्राकर ने कहा, सरकार ने नवा रायपुर के 27 गांवाें के मुख्य मुद्दे पर अभी तक कोई विचार भी नहीं किया है। यह तब है जब मंत्रियों की तीन सदस्यीय समिति को उन्होंने सभी मांगों से जुड़े दस्तावेज सौंप दिए हैं। तीन बैठकों में बिंदुवार पूरी जानकारी दी जा चुकी है। रूपन चंद्राकर ने कहा, केवल एक मुद्दा ही सही तरीका से सरकार ने पालन किया है। वह है प्रभावित ग्रामीणों को यहां 70% गुमटी और चबूतरा देने की बात, शेष सभी मांगें अधूरी हैं। इसी पर सरकार कह रही है कि हम आंदोलन छोड़ दें।
मांगें मान ले सरकार हम ऐतिहासिक सम्मान करेंगे, नहीं तो आंदोलन जारी रहेगा
रूपन चंद्राकर ने कहा, हम सरकार से निवेदन कर रहे हैं, मौजूदा सरकार के गठन से पहले हमारे साथ जो वादा किया था उसे पूरा कर दें। सरकार सारे मुद्दों पर किसानों को अपना फैसला दे दे। हम आंदोलन छोड़ देंगे और सरकार का ऐतिहासिक सम्मान भी करेंगे। सरकार मांग नहीं मानेगी तो आंदोलन जारी रहेगा। प्रदेश के सारे किसान प्रतिनिधि आएंगे। हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व भी पहुंचेगा।
पट्टे पर नहीं बैठ रही पटरी
रूपन चंद्राकर ने कहा, हमने संपूर्ण बसाहट का पट्टा मांगा है। मतलब जो ग्रामीण जितने में काबिज हैं उतने का पट्टा दिया जाए। सरकार ने शर्त रखी है 2500 वर्गफीट पर पट्टा दिया जाएगा। सरकार प्रत्येक वयस्क को 1200 वर्गफीट विकसित भूखंड 2012 की तारीख की स्थिति में देना चाह रही है। हमारी मांग है कि देरी सरकार की तरफ से हुई है तो 2022 में जो भी 18 साल का है, उसे 1200 वर्गफीट का विकसित भूखंड का पट्टा दे।
जमीन खरीदी-बिक्री की राेक पूरी तरह नहीं हटी
रूपन चंद्राकर ने कहा, सरकार कह रही है कि उसने जमीन खरीद-बिक्री के लिए एनओसी लेने की शर्त हटा दी है। यह भी अधूरी बात है। यह पूरा आंदोलन राजधानी क्षेत्र के 27 गांवों का है। सरकार इसको 41 गांव बनाकर 27 गांवों से यह शर्त हटा लेने की बात कर भ्रम फैला रही है। हम सभी गांवों में जमीन के खरीद-बिक्री को शर्त मुक्त चाहते हैं।
वार्षिकी राशि पर भी नहीं बनी बात
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार वार्षिकी राशि के भुगतान के संबंध में कुछ नहीं बोल रही है। जिन किसानों की जमीन ली गई है उन किसानों को 2012 से 2031 तक जो राशि देनी है तो उसमें कोई कटौती नहीं होनी चाहिए। उनको 15 हजार और 750 रुपए प्रति एकड़ वार्षिंक वृद्धि के साथ दें। यह वह राशि है जिसे सरकार ने अधिग्रहण के एवज में एक निश्चित समय के लिए देने का बहुत पहले वादा किया था।
रोजगार की बात भी आधी-अधूरी
किसान नेता रूपन चंद्राकर ने कहा, रोजगार की बात भी आधी-अधूरी है। हमारा कहना है कि रोजगार में 60% का आरक्षण केवल नवा रायपुर विकास प्राधिकरण तक सीमित न रहे।इस क्षेत्र में जितने भी सरकारी कार्यालय हैं वहां 60% रोजगार प्रभावित गांव के किसानों के लिए आरक्षित होना चाहिए।
कुछ ऐसी है किसानों की पूरी मांग
सरकार का क्या रुख है
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने शुक्रवार शाम बताया, किसानों की छह मांगे मान ली गई हैं। पट्टा वितरण का काम 7 मार्च से शुरू हो रहा है। 41 में से 13 गांवाें कुहेरा, परसदा, पलौद, कोटनी, तांदुल, खंडवा, पचेड़ा, भेलवाडीह, तेंदुआ, पौता, बंजारी, चेरिया और कुर्रू में जमीन बेचने-खरीदने के लिए NOC लेने की आवश्यकता खत्म कर दी गई है। दुकान, गुमटी, चबूतरा और हॉल का आवंटन लागत मूल्य पर प्रभावित ग्रामीणों को लॉटरी के आधार पर करने का आदेश जारी है। एनआरडीए की संविदा सेवाओं में प्रभावित किसानों को 60% आरक्षण की बात मान ली गई है। वहीं वार्षिकी ऑडिट आपत्तियों के निराकरण के बाद वार्षिकी राशि का भी भुगतान किया जाएगा।
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