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कोरोना से बचाने वाली PPE किट को फेंका तो 500 साल में गलेगी
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 5 जून 2021,  11:21 AM IST

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दुनिया भर के रिसर्चर यह पता लगाने में जुटे हैं कि पर्यावरण में फैले प्रदूषण का कोरोना के फैलने, उसके गंभीर होने या उसके चलते मौत होने से कोई नाता है या नहीं। कुछ स्टडीज में यह बात स्थापित भी हो चुकी है कि कोरोना से मौत के पीछे प्रदूषण भी एक कारण हो सकता है। हालांकि यह संबंध अभी सिर्फ प्रदूषण और कोरोना से जुड़े डेटा के एनालिसिस से स्थापित हुआ है। मेडिकल जर्नल कार्डियोवस्कुलर रिसर्च में पब्लिश हुए एक पेपर के मुताबिक दुनिया में हुई 15% मौतों का सीधा संबंध लंबे समय तक PM (particulate matter) यानी महीन धूल और जहरीले केमिकल के मिलने से बने प्रदूषित कणों के बीच रहने से है। इधर, वर्ल्ड बैंक के एक पॉलिसी रिसर्च वर्किंग पेपर के मुताबिक भारत में particulate matter 2.5 (PM 2.5) के प्रदूषण में प्रत्येक 1% बढ़ोतरी के साथ कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 5.7 percent point बढ़ जाता है। धूल वाले इस प्रदूषण से कोरोना से मौत की दर भी बढ़ जाती है।





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