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बिलासपुर
झीरम घाटी हमले में पहली सुनवाई आज
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 19 अप्रैल 2022,  02:30 PM IST

जस्टिस सुनील अग्निहोत्री की अध्यक्षता में बैठेगा आयोग; 5 माह पहले राज्य सरकार ने किया है गठित

राज्य शासन ने करीब पांच माह पहले इस आयोग का गठन किया था, तब आयोग को छह महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने की बात कही थी। लेकिन, आयोग के गठन के साथ ही सुनवाई की प्रक्रिया में ही पांच माह बीत गया है। ऐसे में नए आयोग की सुनवाई देर से शुरू हो रही है। नए आयोग की सुनवाई में पूर्व में जारी जांच के बिंदुओं के के साथ ही तीन नए बिंदुओं को शामिल किया गया है।





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  • क्या हमले के बाद पीड़ितों को समुचित चिकित्सा उपलब्ध कराई गई।
  • ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या समुचित कदम उठाए गए थे।
  • अन्य महत्वपूर्ण बिंदु जो परिस्थितियों के मुताबिक आयोग निर्धारित करे।

राज्यपाल को 6 अक्टूबर को सौंपी गई रिपोर्ट





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भाजपा सरकार के समय में हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। तब से आयोग इस मामले की सुनवाई कर रही थी। जस्टिस प्रशांत मिश्रा के चीफ जस्टिस बनने के पहले ही आयोग का कार्यकाल 30 सितंबर 21 को समाप्त हो गया था। उन्होंने कार्यकाल बढ़ाने के लिए शासन को पत्र भी लिखा था। इसी बीच उनका प्रमोशन चीफ जस्टिस के पद पर हो गया।





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झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने 6 अक्टूबर को राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। झीरम हत्याकांड जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी यह रिपोर्ट लेकर राजभवन पहुंचे थे। यह रिपोर्ट 10 खंडों और 4 हजार 184 पेज में तैयार की गई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने आयोग की जांच पूरी नहीं होने की बात कही थी।





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राज्य शासन ने नए आयोग गठन के लिए जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग का कार्यकाल खत्म हो गया है और जस्टिस प्रशांत मिश्रा चीफ जस्टिस बनकर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट चले गए हैं। ऐसे में सरकार ने आयोग में दो नए सदस्यों को शामिल करने का निर्णय लिया है।





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प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेताओं की हुई थी हत्या
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर 25 मई 2013 को झीरम घाटी में हुए एक नक्सली हमले में 29 लोग मारे गए थे। इसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार के साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल जैसे नाम भी शामिल थे। देश में किसी राजनीतिक दल पर हुआ यह सबसे बड़ा हमला था।





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NIA जांच के बाद पुलिस ने दर्ज की FIR
तत्कालीन भाजपा शासनकाल में झीरम कांड के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच कराई थी। NIA की जांच में इसे नक्सली हमला बताया था। जबकि, कांग्रेसी इसे राजनीतिक हत्या की साजिश बता रहे थे। NIA ने जांच के बाद दो दर्जन से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी कर चालान विशेष अदालत में पेश कर दिया है। इधर, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दिवंगत पूर्व विधायक उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने जगदलपुर थाने में राजनीतिक षडयंत्र और हत्या का केस दर्ज कराया था। जिसे NIA ने हाईकोर्ट में चुनौती थी। अब हाईकोर्ट ने भी NIA की अपील को खारिज कर दिया है। ऐसे में पुलिस अब इस केस की जांच शुरू कर सकती है।





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