विशेष संवादाता, रायपुर। झारखंड में सियासी उठापटक के बीच शनिवार को सीएम हाउस से 3 लग्जरी बसों में कांग्रेस और JMM के 36 विधायकों समेत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रवाना हो गए हैं। फिलहाल मिल रही जानकारी के अनुसार सभी विधायकों का पहला अस्थाई ठिकाना खूंटी का लतरातू डैम बन सकता है। बता दें कि सीएम सोरेन ने इस दौरान विधायकों के साथ सेल्फी भी सोशल मीडिया पर शेयर की है।
लाभ के पद मामले पर सीएम की कुर्सी के साथ ही विधायिकी पर भी खतरे की तलवार झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अभी भी लटक रही है। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने चुनाव आयोग को अपना निर्णय भेज दिए हैं। फैसले में सीएम सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा की गई है। आज शनिवार को समाचार लिखे जाने तक आयोग की बैठक इस मुद्दे पर चल रही थी। कभी भी बैठक समाप्त होने के बाद अधिसूचना जारी होने के बाद ही सोरेन का सियासी भविष्य तय होगा। क्योंकि उनकी पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा बहुमत में है और ऐसे में विधायिकी रद्द होने के बाद पार्टी विधायकों का समर्थन लेकर सोरेन फिर सीएम बन सकते हैं। क्योंकि अधिसूचना आने के बाद अगर उनपर लाभ के पद मामले और आरोपों की गंभीरता देखते हुए चुनाव से ही अपात्र या फिर निर्धारित समयकाल तक वंचित रखने का फैसला हुआ तब सोरेन को सीएम पद पर फिर बैठना मुश्किल होगा।
ऐसे में पूरी संभावना बन रही है कि सदस्यता रद्द होने के बाद अपात्र या फिर एक निश्चित समय तक (6 माह)चुना लड़ने से रोका गया तो सीएम सोरेन अपने परिवार के किसी सदस्य को सीएन बनवाएंगे। उनकी पत्नी और पिता को वे बतौर सीएम लांच करेंगे ऐसा जानकारों का मनना है। वैसे अभी तक सोरेन को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करने के मामले में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
फिलहाल राजभवन ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। चुनाव आयोग इसकी अधिसूचना जारी करेगा। संभवतः शनिवार को इसके जारी होने की संभावना है। झारखंड में सियासी उठापटक के बीच शनिवार को महागठबंधन के विधायकों की बैठक बुलाई गई है। ये बैठक रांची में सीएम हाउस में थोड़ी देर पहले ही शुरू हुई है। कई विधायक बैग लेकर सीएम हाउस पहुंचे हैं।
सोरेन समर्थक एमएलए मैनपाट-रायपुर होंगे शिफ्ट !
बताया जा रहा है कि कांग्रेस अपने विधायकों को यहां छत्तीसगढ़ शिफ्ट कर सकती है। हलांकि जेएमएम के नेता और सोरेन केबिनेट के मंत्री चंपई सोरेन ने विधायकों के कहीं भी जाने से इनकार किया है। सोरेन की सदस्यता जाने के बाद गवर्नर राज्य के सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्यौता देंगे। संख्या बल के अनुसार फिलहाल अभी झारखंड विधानसभा में सबसे बड़ा दल के तौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ही है फिर भाजपा और उसके बाद कांग्रेस है।
ऐसे में नियम के अनुसार गवर्नर को सरकार बनाने का पहला मौका सोरेन की पार्टी को ही मिलेगा। इसलिए भाजपा से सशंकित सोरेन सरकार अपने विधायकों को कुछ छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के रसूखदार कारोबारियों के जिम्मे यहाँ लाया जा सकता है। सम्भावना है कि राजधानी रायपुर या फिर बॉर्डर से लगे सरगुजा (मैनपाट) में पार्टी विधायकों को शिफ्ट किया जा सकता है।
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