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ऑस्‍ट्रेलिया में गरज रहे भारत, जापान और अमेरिका के युद्धपोत,
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 11 अगस्त 2023,  11:55 AM IST

मालाबार अभ्‍यास से चीन को बड़ा संदेश

सिडनी: ऑस्‍ट्रेलिया के स‍िडनी शहर में बहुप्रतिक्षित मालाबार अभ्‍यास 2023 शुरू हो गया है। इस नौसैनिक अभ्‍यास में भारत, ऑस्‍ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के महाव‍िनाशक युद्धपोत और सबमरीन का शिकार करने वाले पी 8 व‍िमान हिस्‍सा ले रहे हैं। शुक्रवार से शुरू हुआ यह अभ्‍यास आगामी 21 अगस्‍त तक चलेगा। ऐसा पहली बार है जब ऑस्‍ट्रेलिया की नौसेना इस मालाबार अभ्‍यास को आयोजित कर रही है। साल 2020 में चीन के साथ गलवान संघर्ष के बाद ऑस्‍ट्रेलिया ने मालाबार अभ्‍यास में ह‍िस्‍सा लिया था।





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भारतीय नौसेना से मिली जानकारी के मुताबिक यह अभ्‍यास दो चरणों में होने जा रहा है। इसमें पहला हार्बर चरण होगा और दूसरा समुद्री चरण। पहले चरण में चारों देशों के नौसेनिक एक-दूसरे के शिप में जाएंगे और पेशेवर आदान प्रदान होगा। इसके अलावा समुद्री चरण के लिए योजना बनाई जाएगी। इसके बाद दूसरे चरण में बहुत उच्‍च स्‍तर का अभ्‍यास किया जाएगा। इसमें समुद्री सतह पर मौजूद दुश्‍मन के जहाजों, हवा में उड़ रहे लक्ष्‍यों और एंटी सबमरीन अभियान चलाए जाएंगे।





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भारत के स्‍वदेशी युद्धपोत लेंगे हिस्‍सा


इस दौरान ये युद्धपोत हथियारों से लाइव फायरिंग की ड्रिल भी करेंगे। भारतीय नौसेना ने कहा है कि इस अभ्‍यास से यह अवसर मिलेगा कि एक-दूसरे पर न‍िर्भरता को बढ़ाया जाए और उसका प्रदर्शन किया जाए। भारत की ओर से आईएनएस सहयाद्री युद्धपोत इस अभ्‍यास में हिस्‍सा ले रहा है। यह प्रोजेक्‍ट 17 के तहत बनाया गया स्‍टील्‍थ फ्रीग्रेट है जो कई तरह की भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा आईएनएस कोलकाता भी सिडनी में मालाबार अभ्‍यास में हिस्‍सा लेगा। इन दोनों ही युद्धपोतों को मजगांव डॉक लिमिटेड ने बनाया है।

इन दोनों ही भारतीय युद्धपोतों में कई घातक हथियार और सेंसर लगे हुए हैं जो समुद्री सतह, हवा और पानी के नीचे मौजूद खतरे की पहचान करके उसे नष्‍ट करने की ताकत रखते हैं। मालाबार अभ्‍यास की शुरुआत साल 1992 में की गई थी जो पहले भारत और अमेर‍िका के बीच द्विपक्षीय अभ्‍यास था। भारत के परमाणु परीक्षण करने के बाद साल 1998 में यह रुक गया था। हालांकि साल 2001 में अमेरिका के व‍िश्‍व व्‍यापार केंद्र पर आतंकी हमले के बाद यह फिर से शुरू हुआ था।





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