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Moon Landing India: कितनी रफ्तार झेल पाएगा लैंडर, तापमान कितना होगा
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 23 अगस्त 2023,  12:49 PM IST

चंद्रयान-3 की लैंडिंग से पहले हालात समझ लीजिए

 





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नई दिल्ली: आज शाम जब सूरज ढल जाएगा तब आसमान की तरफ देखना मत भूलिएगा, भारत चांद पर होगा। जी हां, शाम 6.04 बजे का इंतजार पूरा भारत कर रहा है। दुनिया भी आज भारत के यान को चांद पर उतरता देखेगी। मून मिशन की शुरुआत को 5 दशक से ज्यादा का वक्त बीत चुका है फिर भी सॉफ्ट लैंडिंग आज भी चुनौती है। कुछ दिन पहले ही रूस का यान चांद पर क्रैश हो गया था। चार साल पहले चंद्रयान-2 भी चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका था। इस बार इतिहास बनाने का मौका है। भारत अपना यान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने जा रहा है। ऐसे में आपके मन में कई सवाल होंगे, जैसे जब अपना लैंडर उतरेगा तो चांद पर तापमान कितना होगा, स्पीड क्या होगी? आइए सभी सवालों का जवाब जानते हैं।





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स्पीड तेज रही तो क्या होगा?​

जी हां, इस बार इसरो ने विक्रम के पैरों को काफी मजबूत बनाया है। ये 10.8 किमी प्रति घंटे की लैंडिंग वेलॉसिटी भी झेल सकते हैं। फिलहाल मिशन टाइम पर है। पूरा देश और इसरो की टीम ऊर्जा और उत्साह से भरी हुई है।





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चांद पर टेंपरेचर क्या होगा? 

वातावरण न होने से लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग और भी चुनौतीपूर्ण होती है। यान को धीमा करना आसान नहीं होता है। लोकल ग्रैविटी में आने वाले बदलाव के हिसाब से सिस्टम को काम करना होगा और कम्यूनिकेशन बेहतर बनाए रखना होगा। मिशन कंट्रोल और यान के बीच हर मैसेज को आने जाने में कुछ मिनट लगते हैं। एंटीना पर मिल रहे सिग्नल वीक हो जाते हैं। सबसे बड़ी बात जिस समय लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरेंगे, उन्हें काफी खराब मौसम का सामना करना पड़ेगा।जी हां, वहां का तापमान 54 डिग्री सेल्सियस से लेकर -203 डिग्री सेल्सियस रात में रह सकता है।
 





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चांद की धूल!
हां, लैंडिंग के लिए जब अपना विक्रम उतर रहा होगा तो उसके इंजन फायर से चांद की सतह पर गर्म गैसों और धूल का प्रवाह उलटी दिशा में हो सकता है। यह भी एक तरह की चुनौती होगी।





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उन आखिरी मिनटों में क्या होगा

विक्रम लैंडर 4 किमीx2.5 किमी के उस क्षेत्र की पहचान करेगा जो उसके उतरने के लिए बेहतर जगह होगी।शाम पौने छह बजे के करीब थ्रस्टर्स स्पीड को नियंत्रित करने की कोशिश करेंगे।चांद की सतह के करीब पहुंचने पर विक्रम की स्पीड काफी कम हो जाएगी।विक्रम के पैर किसी प्लेन की तरह बाहर निकलेंगे और विक्रम 6.04 पर लैंड करेगा।सफलतापूर्वक लैंड करने के बाद रोवर प्रज्ञान सतह पर घूमेगा। ​





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