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इस समय के 10 सबसे बड़े खतरे ये हैं दुनिया पर मंडरा रहे
  • Written by - News Valley24 Desk
  • Last Updated: 11 जून 2021,  01:01 PM IST

WEF की रिपोर्ट

संक्रामक बीमारियों से डर 58 फीसद को लगता है

रिपोर्ट के मुताबिक, जब लोगों से लघुकालीन खतरे पर बात की गई तो 58 फीसद लोगों ने कहा कि उनको संक्रामक बीमारियों से डर लगता है। वहीं, जीवन यापन पर संकट (55.1 फीसद), एक्सट्रीम वेदर इवेंट जैसे बाढ़, सूखा (52.7 फीसद), साइबर सुरक्षा (39 फीसद) और डिजिटल असमानता (38.3) को भी लोग बड़ा संकट मानते हैं। इसके बाद लंबे समय तक नीतियों में आने वाली जड़ता को 38.3 फीसद, आतंकी हमले को 37.8 फीसद, युवाओं के मोहभंग को 36.4 फीसद, सामाजिक सामंजस्य में कमी को 35.6 फीसद और पर्यावरण के नुकसान को 35.6 फीसद लोग दुनिया के सामने आने वाली बड़ी चुनौती के रूप में देखते हैं।





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मध्यम काल के लिए खतरा

एसेट बबल ब्रस्ट को 53.3 फीसद लोग, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर ब्रेकडाउन को 53.3 फीसद, मूल्य अस्थिरता को 52.9 फीसद, कमोडिटी शॉक्स को 52.7 फीसद, कर्ज को 52.3 फीसद लोग रिस्क मानते हैं। वहीं, अंतरराज्यीय संबंध खराब होना 50.7 फीसद, अंतरराज्यीय संघर्ष 49.5 फीसद, साइबर सुरक्षा की विफलता 49.0 फीसद, टेक गवर्नेंस की विफलता 48.1 फीसद और रिसोर्स जियोपॉलिटाइजेशन 47.9 फीसद लोगों की चिंता का कारण है।





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दीर्घकालीन खतरा विनाशकारी हथियार भी हैं

लघु और मध्यम काल की तुलना में जब दीर्घकालीन खतरे की बात होती है तो लोगों की चिंताएं बदल जाती हैं। 62.7 फीसद लोग सामूहिक विनाश के हथियार को सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। वहीं, राज्य का पतन 51.8 फीसद, जैव विविधता की हानि 51.2 फीसद, प्रतिकूल तकनीक का विकास 50.2 फीसद और प्राकृतिक संसाधन संकट 43.9 फीसद लोगों की चिंता का कारण हैं। इन सबके अलावा, सामाजिक सुरक्षा में कमी को 43.4 फीसद, बहुपक्षवाद (इन्क्लूजिविटी) में कमी को 39.8 फीसद, उद्योग के पतन को 39.7 फीसद, जलवायु परिवर्तन रोकने की कार्रवाई की विफलता को 38.3 फीसद और विज्ञान के खिलाफ गुस्सा 37.8 फीसद लोगों के लिए बड़ा संकट है।





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