दिसम्बर 6, 2025

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नीतीश कुमार का ‘सियासी दांव’: राजपुर से उम्मीदवार का ऐलान कर BJP को कर दिया बैकफुट पर!

पटना। बिहार की सियासत में एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसा कदम उठाया है, जिसने उनके एनडीए सहयोगियों—खासकर भाजपा—को असहज कर दिया है। सीट बंटवारे की आधिकारिक घोषणा से पहले ही नीतीश ने बक्सर की राजपुर (सुरक्षित) सीट से पूर्व मंत्री संतोष निराला के नाम की घोषणा कर दी। इस घोषणा के वक्त मंच पर उनके साथ मौजूद बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुपचाप ताकते रह गए।


सीट बंटवारे से पहले ‘सरप्राइज’

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में अभी तक एनडीए के अंदर सीट शेयरिंग पर कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ है।

  • सूत्रों के मुताबिक एक प्रारंभिक समीकरण की चर्चा है जिसमें जेडीयू और बीजेपी 102-102 सीटों पर,
  • चिराग पासवान की पार्टी 20 सीटों पर,
  • और मांझी व कुशवाहा की पार्टी 10-10 सीटों पर लड़ सकती हैं।

हालांकि, यह समीकरण केवल अनुमान है और किसी भी दल ने आधिकारिक घोषणा नहीं की है। इसी अनिश्चित माहौल में नीतीश कुमार ने राजपुर सीट पर अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर बीजेपी को असहज कर दिया।


संतोष निराला पर फिर दांव

नीतीश कुमार ने जिस संतोष निराला के नाम का ऐलान किया है, वे 2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी से हार चुके थे। बावजूद इसके नीतीश ने एक बार फिर उन्हीं पर भरोसा जताया। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश का यह कदम बीजेपी को साफ संदेश है कि—

“सीट बंटवारे में आख़िरी फैसला मेरा होगा। एनडीए में ‘बड़े भाई’ की भूमिका जेडीयू ही निभाएगा।”


सम्राट चौधरी की ‘खामोशी’

राजपुर सीट से उम्मीदवार का ऐलान उसी मंच से हुआ, जहां बीजेपी के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद थे। लेकिन नीतीश के इस फैसले पर वे कुछ नहीं बोले और केवल चुपचाप सुनते रह गए। यह दृश्य बिहार की राजनीति में गठबंधन की असहजता को साफ बयां करता है।


विपक्ष पर भी दबाव

नीतीश का यह ऐलान न केवल बीजेपी के लिए चुनौती है, बल्कि विपक्षी महागठबंधन पर भी दबाव बढ़ाता है। अब विपक्ष को भी अपनी रणनीति और उम्मीदवारों को लेकर तेजी से पत्ते खोलने होंगे।


आगे क्या?

नीतीश के इस कदम से यह संदेश गया है कि वे किसी भी हाल में अपने “अपर हैंड” को बनाए रखेंगे। अब सबकी निगाहें 9 सितंबर को होने वाली उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग और उसके बाद बिहार में एनडीए के भीतर होने वाले फैसलों पर टिकी हैं।


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